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किसानों का धरना प्रदर्शन 161वें दिन भी जारी, सरकार पर उठे सवाल

किसानों का धरना प्रदर्शन 161वें दिन भी जारी है, जिसमें किसानों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भारतीय किसान मजदूर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौंथ ने कहा कि सरकार किसानों का उत्पीड़न कर रही है और बीमा मुआवजे में देरी कर रही है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे। जानें इस धरने में किसानों की क्या मांगें हैं और सरकार की नीतियों पर उनकी क्या राय है।
 

सरकार किसानों का उत्पीड़न बंद करे


  • सरकार किसानों का उत्पीडऩ करना बंद करे


Charkhi Dadri News - बाढड़ा। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर हरियाणा के रबी खरीफ सीजन के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये के बीमा मुआवजे को जारी करने के बजाय कंपनियों के हितों की रक्षा कर रही हैं, जो किसानों के साथ अन्याय है। यदि सरकार ने जल्द ही किसानों के लिए बकाया मुआवजा जारी नहीं किया, तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह बात भारतीय किसान मजदूर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौंथ ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अनाज मंडी परिसर में आयोजित 160वें धरने पर किसानों को संबोधित करते हुए कही। धरने में शामिल किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि यदि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जल्द सुनवाई नहीं की, तो बड़ा जन आंदोलन होगा।


किसानों की फसलें लगातार खराब हो रही हैं, लेकिन सरकार केवल 15 हजार रुपये देने का दावा कर रही है


सुरेश कौंथ ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार किसान महंगाई, बेरोजगारी और उपेक्षा का सामना कर रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों की फसलें लगातार दूसरे सत्र में खराब हो रही हैं, लेकिन सरकार केवल 15 हजार रुपये देने का दावा कर रही है। राहत के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है। खरीफ फसल भी खराब हो गई थी और अगली फसल की बुवाई के लिए आवश्यक डीएपी और यूरिया भी उपलब्ध नहीं है। सरकार को तुरंत 2023 के रबी खरीफ फसलों का बकाया 300 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी करना चाहिए।


श्योराण खाप के अध्यक्ष बिजेन्द्र बेरला और सभा के पूर्व अध्यक्ष रघबीर काकड़ौली ने कहा कि बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें खराब हो रही हैं, लेकिन सरकार बीमा कंपनियों के माध्यम से मुआवजा देने का दावा करती है। हालांकि, अधिकारी और बीमा कंपनी के कर्मचारी मिलकर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जो अन्याय है। भावांतर योजना में सरकार खुद खरीद नहीं कर रही है और किसानों को निजी व्यापारियों को बेचने का दावा कर रही है, जबकि केवल 5 प्रतिशत किसान ही लाभान्वित हो रहे हैं।


सरकार को नैतिकता दिखाते हुए तुरंत बाजरा उत्पादक किसानों को भावांतर और प्रभावित किसानों को मुआवजा जारी करना चाहिए। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र जागलान ने धरने में समाज को एकजुट करने का आह्वान किया। इस अवसर पर कई किसान नेता भी मौजूद थे।