किसानों के लिए पराली प्रबंधन पर जागरूकता कार्यशाला आयोजित
पानीपत में पराली प्रबंधन पर कार्यशाला
पानीपत (पराली जलाना)। राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान, उत्तरी क्षेत्र, दिल्ली ने नेशनल मिशन बायोमास (समर्थ) के तहत एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम स्काईलार्क टूरिस्ट रिजॉर्ट में हुआ, जिसमें किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए प्रेरित किया गया। इस कार्यशाला में लगभग 255 किसान, लघु निर्माता संगठन और पेलेट निर्माता शामिल हुए। किसानों को पराली को जलाने के बजाय उसे पेलेट निर्माताओं को देने के लाभों के बारे में बताया गया।
पराली के उपयोग पर चर्चा
मुख्य अतिथि प्रवीण गुप्ता, जो सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी थर्मल के सदस्य हैं, ने पराली के फायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, जबकि इसे पेलेट के रूप में थर्मल पावर प्लांट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। देश के 71 थर्मल पावर प्लांट पराली को जलाने में सहायक हैं।
बायोमास पेलेट बनाने की प्रक्रिया
गुप्ता ने बताया कि एक किलोग्राम बायोमास पेलेट बनाने के लिए लगभग 1.5 किलोग्राम पराली की आवश्यकता होती है। बायोमास कॉ-फायरिंग एक प्रभावी तकनीक है जो स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में मदद करती है। समर्थ मिशन और एनटीपीसी के मिशन निदेशक अनिल बवेजा ने मिशन के प्रयासों की जानकारी दी।
किसान पर कार्रवाई
भाऊपुर गांव के किसान कर्म सिंह ने दो एकड़ में धान के अवशेष जला दिए। कृषि विभाग की टीम ने मौके पर जाकर जांच की और किसान पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, उनके खिलाफ थाना इसराना में मामला दर्ज किया गया है। किसान के रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है, जिससे वह दो साल तक एमएसपी पर फसल नहीं बेच सकेगा।
किसानों के लिए सलाह
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों में धान के अवशेष न जलाएं। इसके बजाय, वे पराली को बेलर से गांठ बनवाएं या रोटावेटर व सुपर सीडर से मिट्टी में मिलाएं। ऐसे किसानों को कृषि विभाग द्वारा 1200 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है।