कुबेरेश्वर धाम में कावड़ यात्रा के दौरान चार श्रद्धालुओं की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल
कावेड़ यात्रा में हुई दुखद घटनाएँ
Kubershwar Dham news: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में कुबेरेश्वर धाम में आयोजित भव्य कावड़ यात्रा के दौरान दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। यह यात्रा प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित की गई है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल हुए हैं। इससे पहले मंगलवार को भी दो महिला श्रद्धालुओं की जान जा चुकी थी, जिससे दो दिनों में कुल मौतों की संख्या चार हो गई है।
कावेड़ यात्रा में शामिल भीड़ और अव्यवस्था के कारण ये हादसे हुए हैं। मंगलवार को दो महिलाओं की मौत भीड़ में दबने से हुई, जबकि बुधवार को दो पुरुष श्रद्धालुओं ने भी अपनी जान गंवाई। कुबेरेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित एक स्थल है, जो रुद्राक्ष वितरण के लिए भी जाना जाता है और पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़ा हुआ है।
पहले दो महिलाओं की दबकर मौत
मंगलवार को सीवन नदी से कुबेरेश्वर धाम तक की यात्रा के दौरान भारी भीड़ में दो महिला श्रद्धालु दब गईं। मृतकों में से एक महिला की पहचान गुजरात के राजकोट निवासी जसवंती बेन (56) के रूप में हुई है, जबकि दूसरी महिला उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की संगीता गुप्ता (48) थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अव्यवस्थित भीड़ में धक्का-मुक्की के कारण ये हादसे हुए।
बुधवार को दो पुरुष श्रद्धालुओं की मौत
बुधवार को फिर से श्रद्धालुओं की जान गई। मृतकों में चतुर सिंह (50) शामिल हैं, जो गुजरात के पांचवल क्षेत्र के निवासी थे। दूसरा मृतक हरियाणा के रोहतक जिले का ईश्वर सिंह (65) है। जानकारी के अनुसार, एक व्यक्ति की मौत होटल के सामने गिरने से हुई, जबकि दूसरा कुबेरेश्वर धाम में बेहोश होकर गिर पड़ा, जिसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
लगातार बढ़ रही है मृतकों की संख्या
पिछले दो दिनों में चार श्रद्धालु कावड़ यात्रा के दौरान जान गंवा चुके हैं, और कई लोग घायल भी हुए हैं, जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही है। भीड़ नियंत्रण में असफलता और उचित व्यवस्था की कमी के कारण श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है।
देशभर से लगभग पांच लाख श्रद्धालु कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या को संभालने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे। कावड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं प्राथमिकता होनी चाहिए थीं, लेकिन मौजूदा घटनाएं प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा कर रही हैं।