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कुरुक्षेत्र के किसान ने मशरूम खेती से बदली किस्मत

कुरुक्षेत्र के किसान यादविंदर सिंह ने मशरूम खेती में अद्वितीय सफलता हासिल की है। उन्होंने 50 हजार रुपये से शुरुआत कर आज 7.5 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर प्राप्त किया है। उनकी मेहनत ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दिया है। जानें कैसे यादविंदर ने पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती की ओर कदम बढ़ाया और अपनी किस्मत बदली।
 

मशरूम खेती में सफलता की कहानी

कुरुक्षेत्र | हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति के चलते राज्य के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक और बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं। इससे उन्हें कम लागत में अधिक लाभ हो रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। कई किसान अब प्रगतिशील किसानों के रूप में पहचान बना चुके हैं। कुरुक्षेत्र जिले के तल्हेरी गांव के किसान यादविंदर सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने मशरूम खेती में नए मानक स्थापित किए हैं।


टर्नओवर करोड़ों में पहुंचा

यादविंदर सिंह, जो केवल आठवीं कक्षा तक पढ़े हैं, ने 2014 में एक बंद मुर्गी फार्म में 50 हजार रुपये का निवेश कर मशरूम की खेती शुरू की। उनकी मेहनत का फल यह हुआ कि आज उनका वार्षिक टर्नओवर 7.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।


उन्होंने बताया कि पहले वह 30 हजार रुपये की सैलरी पर एक मशरूम फार्म में काम करते थे। वहां काम करते हुए उन्होंने इतनी विशेषज्ञता हासिल की कि खुद का व्यवसाय शुरू किया। अब वह मशरूम के साथ-साथ मशरूम कंपोस्ट खाद भी बनाते हैं। इसके लिए उनके पास 3 एकड़ में स्थायी प्लांट है और लगभग 14 एकड़ में शेड में मशरूम उगाते हैं।


यादविंदर ने कहा कि उनकी कंपोस्ट खाद की हरियाणा में काफी मांग है। मशरूम की सप्लाई हरियाणा के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में होती है। इन राज्यों से लगातार ऑर्डर आते रहते हैं, और वह मांग के अनुसार मशरूम भेजते हैं।


सैकड़ों लोगों को रोजगार

यादविंदर सिंह ने मशरूम खेती से लाखों रुपये कमाए हैं और सैकड़ों लोगों को रोजगार देकर उनकी आजीविका का सहारा बने हैं। उनके फार्म पर 250 से अधिक पुरुष और महिलाएं काम कर रहे हैं। उन्होंने अन्य किसानों से आग्रह किया है कि वे पारंपरिक खेती को छोड़कर मशरूम, फल और सब्जियों की खेती को अपनाएं।