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कुलदीप सेंगर की बेटी इशिता ने खोला न्याय की मांग का पिटारा, जानें क्या कहा

इशिता सेंगर ने अपने पिता कुलदीप सेंगर के लिए न्याय की मांग करते हुए एक भावनात्मक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपने परिवार की कठिनाइयों और मानसिक दबाव का जिक्र किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है, जिससे इशिता को राहत मिली है। जानें इस पत्र में इशिता ने क्या कहा और उनके परिवार की स्थिति के बारे में।
 

इशिता सेंगर का खुला पत्र


नई दिल्ली: उन्नाव बलात्कार मामले में आरोपी और पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी, इशिता सेंगर ने हाल ही में अपने पिता के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए एक पत्र लिखा है। इस पत्र में इशिता ने बताया कि उनके पिता के खिलाफ चल रहे मुकदमों के कारण उनके परिवार को लगातार धमकियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मानसिक और सामाजिक दबाव बढ़ता जा रहा है।


इशिता का भावनात्मक संदेश

इशिता का खुला पत्र


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इशिता ने लिखा कि वह यह पत्र एक थकी हुई और डरी हुई बेटी के रूप में लिख रही हैं, जो धीरे-धीरे अपना विश्वास खो रही हैं, लेकिन फिर भी उम्मीद से भरी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि किस प्रकार की शक्ति एक परिवार को आठ वर्षों तक बेबस छोड़ देती है।




इशिता ने आगे कहा कि उनकी पहचान अब केवल भाजपा विधायक की बेटी तक सीमित रह गई है और सोशल मीडिया पर उन्हें कई बार कहा गया कि उन्हें अस्तित्व में रहने के कारण ही नुकसान पहुंचाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिवार की गरिमा धीरे-धीरे छीनी जा रही है और पिछले आठ वर्षों से उन्हें प्रतिदिन दुर्व्यवहार और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक


यह पत्र उस समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर को 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दी गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाली अपील के लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था। सेंगर पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुके हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सेंगर को नोटिस जारी किया और उन्हें अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस फैसले से इशिता ने राहत महसूस की और कहा कि उन्हें न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही न्याय के लिए आवाज उठाती रही हूं। मुझे सभी अदालतों पर भरोसा है और सुप्रीम कोर्ट ने मुझे न्याय दिया है और आगे भी देगा।


दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट का आदेश


दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के तीन ज़मानतदार पेश करने का निर्देश दिया था। सेंगर ने बलात्कार मामले में निचली अदालत के दिसंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.


परिवार की स्थिति

परिवार की मजबूरी


इशिता का यह पत्र उनके परिवार की स्थिति और संघर्ष को उजागर करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका परिवार लगातार मानसिक दबाव और धमकियों का सामना कर रहा है, लेकिन उनके अंदर अभी भी न्याय की उम्मीद जिंदा है। यह मामला यह दिखाता है कि पीड़ित परिवारों को लंबे समय तक न्याय की प्रक्रिया में संघर्ष करना पड़ता है और अदालतों के फैसलों पर उनका भरोसा न्याय पाने का सबसे बड़ा आधार होता है।


इशिता सेंगर ने अंत में यह संदेश दिया कि उनके पिता के मामले में न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, और वे पूरी दृढ़ता के साथ अपने परिवार की गरिमा और न्याय के लिए आवाज उठाती रहेंगी.