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कुशीनगर में झोलाछाप डॉक्टरों ने युवक की किडनी निकाली, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल

कुशीनगर में एक युवक, जो पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल गया था, झोलाछाप डॉक्टरों का शिकार बन गया। डॉक्टरों ने उसे पथरी का बहाना बनाकर उसकी किडनी निकाल दी। इस घटना के बाद युवक ने पुलिस से शिकायत की, जिसके बाद अस्पताल पर छापा मारा गया। स्थानीय लोगों ने अस्पताल को 'मौत का अड्डा' करार दिया है और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और प्रशासन की कार्रवाई के बारे में।
 

कुशीनगर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। एक युवक, जो पेट दर्द की सामान्य शिकायत लेकर अस्पताल गया था, अस्पताल के माफियाओं का शिकार बन गया। झोलाछाप डॉक्टरों ने उसे पथरी का बहाना बनाकर उसकी पूरी किडनी निकाल दी। पीड़ित ने इस घटना की शिकायत पुलिस से की है।


पुलिस ने अस्पताल पर छापा मारा और जांच शुरू की

जानकारी के अनुसार, अलाउद्दीन (35), जो ग्राम रामपुर खुर्द का निवासी है, 14 अप्रैल को पेट दर्द के कारण कोटवा स्थित न्यू लाइफ केयर अस्पताल पहुंचा। वहां के संचालकों इमामुद्दीन और तार मोहम्मद ने उसे 17 मिमी की पथरी का हवाला देकर तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी और भर्ती कर लिया। ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। पेशाब में खून आने और कमजोरी बढ़ने पर उसे पीजीआई लखनऊ रेफर किया गया, जहां पता चला कि उसकी बाईं किडनी निकाल दी गई है। इसके बाद अलाउद्दीन ने पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र से न्याय की गुहार लगाई। एसपी के निर्देश पर सीओ खड्डा बसंत कुमार सिंह और थानाध्यक्ष दीपक सिंह ने अस्पताल पर छापा मारकर जांच शुरू कर दी है।


स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

इस मामले में प्रभारी सीएमओ डॉ. बृजनंदन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। सवाल यह उठता है कि इन झोलाछाप डॉक्टरों को ऑपरेशन करने की अनुमति किसने दी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अस्पताल 'मौत का अड्डा' बन चुका है, जहां बिना लाइसेंस और डिग्री के फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। क्या किसी की किडनी यूं ही निकाल ली जाएगी और प्रशासन चुप रहेगा? क्या स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी? क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि अस्पताल को तुरंत सील किया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।