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केंद्र सरकार का अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्पष्ट रुख: खनन पूरी तरह प्रतिबंधित

केंद्र सरकार ने अरावली पर्वत श्रृंखला पर खनन गतिविधियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि अरावली का संरक्षण वैज्ञानिक आकलन के आधार पर किया जाएगा और एनसीआर क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अरावली से छेड़छाड़ करने वाला देश का दुश्मन होगा।
 

अरावली विवाद पर केंद्र का स्पष्टीकरण

नई दिल्ली। अरावली पर्वत श्रृंखला के संबंध में चल रहे विवाद पर केंद्र सरकार ने अपना स्पष्ट रुख पेश किया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर जानबूझकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है और पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था के संतुलन को बनाए रखने की नीति पर चल रही है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

भूपेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का गहराई से अध्ययन किया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली, गुजरात और राजस्थान में फैली अरावली पर्वत श्रृंखला का संरक्षण वैज्ञानिक आकलन के आधार पर किया जाना चाहिए। मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने हमेशा ग्रीन अरावली को बढ़ावा दिया है, और इस निर्णय से सरकार की संरक्षण नीति को समर्थन मिला है।


100 मीटर नियम की व्याख्या

अरावली के संदर्भ में सबसे अधिक भ्रम 100 मीटर नियम को लेकर है। भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि यह माप किसी पहाड़ी की ऊंचाई को ऊपर से नीचे तक मापने से संबंधित है। उन्होंने दोहराया कि एनसीआर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। नए खनन की अनुमति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।


जैव विविधता और वन्यजीवों का संरक्षण

मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पैरा 38 में स्पष्ट है कि किसी भी नई खनन लीज की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय अत्यावश्यक परिस्थितियों के। उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में 20 वन्यजीव अभयारण्य और चार टाइगर रिजर्व हैं, जो इसकी पर्यावरणीय महत्वता को दर्शाते हैं। यही कारण है कि सरकार इसके संरक्षण के प्रति गंभीर है।


फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की चेतावनी

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी है कि अरावली की लगभग 10 हजार पहाड़ियों में खनन गतिविधियों से गंभीर नुकसान हो रहा है और इसे रोकना आवश्यक है। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने भी इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से रोकने की बात कही थी। हालांकि, केंद्र का तर्क है कि राजस्थान में लागू 100 मीटर पहाड़ी सिद्धांत के अनुसार केवल 100 मीटर से ऊंची संरचनाओं को ही अरावली माना जाएगा।


कांग्रेस नेता का सरकार पर हमला

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि यदि अरावली से संबंधित नया आदेश लागू हुआ, तो पूरे क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा। उनके अनुसार, अरावली पर्वत श्रृंखला थार मरुस्थल से आने वाली रेत को रोककर दिल्ली, हरियाणा और आसपास की खेती को बचाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अरावली से छेड़छाड़ करने वाला देश और क्षेत्र का दुश्मन माना जाएगा।