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केंद्र सरकार का निर्देश: अवैध घुसपैठियों के लिए डिटेंशन सेंटर स्थापित करें

केंद्र सरकार ने अवैध विदेशी घुसपैठियों पर नियंत्रण लगाने के लिए सभी राज्यों को डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का निर्देश दिया है। नए नियमों के तहत, यदि कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता है, तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है। इसके अलावा, विदेशियों के रोजगार पर भी सख्त दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में आने-जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। जानें इस नई नीति के सभी पहलुओं के बारे में।
 

नई नीति का उद्देश्य

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अवैध विदेशी घुसपैठियों पर नियंत्रण लगाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में डिटेंशन सेंटर (विशेष हिरासत केंद्र) स्थापित करें। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी एक गजट नोटिफिकेशन में यह आदेश दिया गया है, जिसका उद्देश्य अवैध घुसपैठियों की गतिविधियों को सीमित करना और उन्हें देश से बाहर निकाले जाने से पहले इन केंद्रों में रखना है।


नए नियमों का विस्तार

सरकार ने 'आव्रजन एवं विदेशी आदेश, 2025' के तहत विदेशी न्यायाधिकरणों की शक्तियों को बढ़ाया है। नए आदेश के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जिसकी नागरिकता पर संदेह है, न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित नहीं होता है, तो न्यायाधिकरण उसकी हिरासत का आदेश दे सकता है। नोटिफिकेशन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो व्यक्ति यह साबित नहीं कर पाता कि वह विदेशी नहीं है और अपने दावे के लिए जमानत की व्यवस्था नहीं कर सकता, उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा।


विदेशियों के रोजगार पर सख्त नियम

विदेशियों के रोजगार पर भी नए नियम
अधिसूचना में निजी क्षेत्र में विदेशियों को रोजगार देने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके अनुसार, वैध वर्क वीजा रखने वाले विदेशी नागरिकों को नागरिक प्राधिकरण की अनुमति के बिना बिजली, पानी या पेट्रोलियम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, रक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा या मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में किसी विदेशी नागरिक को नियुक्त करने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी।


नेपाल-भूटान के नागरिकों को राहत

नेपाल-भूटान के नागरिकों को राहत
एक अन्य अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में आने-जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता नहीं है। यह नियम उन तिब्बती शरणार्थियों पर भी लागू होगा जो 1959 के बाद लेकिन 30 मई, 2003 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और संबंधित अधिकारियों के पास पंजीकृत हैं।