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केंद्र सरकार ने निमेसुलाइड की उच्च डोज पर लगाया प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए निमेसुलाइड की 100 मिलीग्राम से अधिक डोज पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय स्वास्थ्य मंत्रालय की गजट अधिसूचना के माध्यम से लागू किया गया है। निमेसुलाइड, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती है, के उच्च डोज से लीवर को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। जानें इस दवा के इतिहास और इसके सुरक्षित विकल्पों के बारे में।
 

महत्वपूर्ण स्वास्थ्य निर्णय


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा वाली निमेसुलाइड युक्त सभी मौखिक दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। यह आदेश 29 दिसंबर 2025 को जारी गजट अधिसूचना के माध्यम से लागू किया गया है।


निमेसुलाइड का प्रभाव और जोखिम

निमेसुलाइड एक गैर-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा (एनएसएआईडी) है, जो दर्द, सूजन और बुखार को कम करने में मदद करती है। भारत में यह दवा काफी समय से प्रचलित रही है, लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार इसके उच्च डोज से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। विशेष रूप से, अधिक मात्रा में इसका सेवन यकृत को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसे हेपेटोटॉक्सिसिटी कहा जाता है। यह खतरा बुजुर्गों, पहले से लीवर संबंधी समस्याओं वाले मरीजों और लंबे समय तक दवा लेने वालों में अधिक होता है।


प्रतिबंध का दायरा

100 मिलीग्राम या उससे कम डोज वाली दवाएं रहेंगी उपलब्ध


यह प्रतिबंध केवल 100 मिलीग्राम से अधिक की तत्काल रिलीज वाली मौखिक फॉर्मूलेशन पर लागू है। 100 मिलीग्राम या उससे कम डोज वाली दवाएं बाजार में उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा, पैरासिटामॉल और इबुप्रोफेन जैसी अन्य सुरक्षित विकल्प दवाएं मरीजों के लिए आसानी से उपलब्ध रहेंगी। मंत्रालय का कहना है कि उच्च डोज वाली दवाओं से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखते हुए और सुरक्षित विकल्पों की उपलब्धता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।


निमेसुलाइड का इतिहास

निमेसुलाइड का इतिहास और पहले के प्रतिबंध


- वर्ष 2011 में भारत में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए निमेसुलाइड का उपयोग प्रतिबंधित किया गया था.
- जनवरी 2025 में पशुओं के लिए सभी निमेसुलाइड फॉर्मूलेशन पर बैन लगा, क्योंकि यह गिद्धों की आबादी के लिए घातक साबित हो रहा था.
- विश्व स्तर पर कई देशों में निमेसुलाइड पर पूरी तरह रोक है या इसका उपयोग सीमित है, मुख्य रूप से लीवर टॉक्सिसिटी के कारण.


निर्देश और कार्रवाई

दवा कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उच्च डोज वाली निमेसुलाइड दवाओं का उत्पादन तुरंत रोकें और बाजार में मौजूद स्टॉक को वापस मंगाएं। फार्मेसी और मेडिकल स्टोर मालिकों को भी इन दवाओं की बिक्री बंद करने के लिए कहा गया है.