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केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट संरचना में बदलाव का आदेश वापस लिया

केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में किए गए बदलाव को वापस ले लिया है। यह निर्णय छात्रों और शिक्षकों के विरोध के बाद लिया गया है। मंत्रालय ने सभी पक्षों से फीडबैक के आधार पर पुरानी संरचना को बहाल करने का निर्णय किया है। इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को मजबूती मिलेगी और लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखा जाएगा।
 

पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट संरचना में बदलाव का आदेश वापस

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी (Panjab University) की सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में किए गए परिवर्तनों को रद्द करने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को एक आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय की मौजूदा शासन व्यवस्था पहले की तरह बनी रहेगी।


छात्रों और शिक्षकों का विरोध

यह निर्णय उस समय आया है जब विश्वविद्यालय में केंद्र के पूर्व आदेश के खिलाफ छात्र संगठनों, शिक्षकों और पूर्व कुलपतियों ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया था। मंत्रालय ने बताया कि सभी संबंधित पक्षों से प्राप्त फीडबैक और विस्तृत चर्चाओं के बाद यह निर्णय लिया गया है कि सीनेट और सिंडिकेट की पुरानी संरचना को पुनर्स्थापित किया जाए।


उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें

कुछ समय पहले, मंत्रालय ने कुलाधिपति द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट के गठन में बदलाव का प्रस्ताव पारित किया था। इस आदेश के बाद विश्वविद्यालय में प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर भारी विवाद उत्पन्न हो गया था।


राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

छात्र संगठनों और शिक्षकों ने आरोप लगाया कि केंद्र का यह कदम विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक और संघीय प्रकृति को कमजोर करता है। इस मुद्दे पर पंजाब के राजनीतिक दलों ने भी केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे।


शिक्षकों और छात्रों की राहत

अब शिक्षा मंत्रालय द्वारा आदेश वापस लेने के बाद, विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र संगठनों ने राहत की सांस ली है। उनका मानना है कि यह निर्णय विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और पारंपरिक अकादमिक ढांचे के लिए एक सकारात्मक कदम है।


लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती

इस फैसले के बाद, पंजाब यूनिवर्सिटी में पहले जैसा प्रशासनिक संतुलन और प्रतिनिधिक व्यवस्था बनी रहेगी, जिससे विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती मिलेगी।