×

केजरीवाल ने नोबेल पुरस्कार की मांग कर राजनीतिक विवाद खड़ा किया

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में अपने शासन के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की है, जिससे एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे उनकी सरकार के कार्यों में बाधा डाल रहे हैं। मोहाली में एक जनसभा के दौरान, केजरीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल पर भी आरोप लगाया कि वे केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली में भाजपा के शासन के दौरान बिगड़ती स्थिति का भी जिक्र किया। विपक्ष ने उनके बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
 

केजरीवाल का विवादास्पद बयान

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासन के कार्यों के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग कर एक नया राजनीतिक विवाद उत्पन्न किया है। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर उनके कार्यों में लगातार बाधा डालने का आरोप लगाया।


मोहाली में जनसभा का संबोधन

पंजाब के मोहाली में एक जनसभा के दौरान केजरीवाल ने कहा, "हमने दिल्ली में अपनी सरकार के दौरान काम करने की अनुमति न होने के बावजूद कार्य किए। मुझे लगता है कि मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों के लिए मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।" उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना पर आरोप लगाया कि वे केंद्र सरकार के इशारों पर आप सरकार के प्रयासों को विफल कर रहे हैं।


भाजपा पर गंभीर आरोप

केजरीवाल ने यह भी कहा कि भाजपा ने दिल्ली नगर निगम का उपयोग करके आप की पहलों को नष्ट किया। उन्होंने कहा, "आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमने मोहल्ला क्लीनिक बनाए, लेकिन भाजपा शासित नगर निगम ने पांच मोहल्ला क्लीनिकों को तोड़ दिया। इससे उन्हें क्या मिला? नगर निगम ने सभी सरकारी मोहल्ला क्लीनिक ध्वस्त कर दिए।"


दिल्ली की बिगड़ती स्थिति

केजरीवाल ने कहा कि पिछले चार महीनों में, जब से आप की प्रशासनिक शक्तियां सीमित हुईं और भाजपा ने दिल्ली में सत्ता संभाली, स्थिति और भी खराब हो गई है। उन्होंने कहा, "आज दिल्ली के लोग आप की अहमियत समझ रहे हैं। भाजपा ने दिल्ली की हालत खराब कर दी है। मोहल्ला क्लीनिक बंद हो रहे हैं, अस्पतालों में मुफ्त दवाइयों और जांच की सुविधा समाप्त हो गई है, और चारों ओर गंदगी फैल गई है।"


आप की कल्याणकारी योजनाएं

केजरीवाल ने आप की प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, "हमारी सरकार ने निर्णय लिया कि प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली और 20 हजार लीटर मुफ्त पानी मिलेगा। इसके साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।" उन्होंने 2013 की बिजली संकट की घटना का जिक्र करते हुए कहा, "मैंने बिजली संकट के खिलाफ 15 दिन तक उपवास किया था। लोगों को हजारों रुपये के बिजली बिल आते थे, लेकिन बिजली आपूर्ति नहीं थी। मैं खुद खंभे पर चढ़कर तार जोड़ता था।"


विपक्ष की प्रतिक्रिया

अरविंद केजरीवाल के बयानों ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। विपक्षी नेताओं ने उन पर "झूठे दावे" करने का आरोप लगाया है।