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केरल ने अत्यधिक गरीबी समाप्त करने में हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि

केरल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने वाला भारत का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि इस पहल के तहत 2021 में शुरू की गई 'मानवीय गरिमा' योजना के माध्यम से 1,03,099 अत्यंत गरीब लोगों की पहचान की गई। इस प्रक्रिया में सामाजिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जानें इस सफलता के पीछे की कहानी और इसके प्रभावों के बारे में।
 

केरल बना भारत का पहला राज्य


केरल, जो दक्षिण भारत का एक प्रमुख राज्य है, ने अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया के लिए भी ऐतिहासिक है। इस संबंध में आधिकारिक घोषणा एक नवंबर को की जाएगी।


अत्यंत गरीब की पहचान और मानक

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जिन व्यक्तियों की दैनिक आय 158.10 रुपये से कम है, उन्हें अत्यंत गरीब माना जाता है। केरल ने इस मानक से आगे बढ़ते हुए भोजन, स्वास्थ्य, आवास और आय को ध्यान में रखते हुए इसे 'मानवीय गरिमा' का नाम दिया। इस पहल में सामाजिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


मानवीय गरिमा पहल की शुरुआत

सीएम विजयन ने बताया कि 2021 में 'मानवीय गरिमा' पहल की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत 14 जिलों में 1300 सर्वेक्षण किए गए। इस प्रक्रिया में मोबाइल ऐप का उपयोग कर वार्ड और ग्राम सभाओं में विस्तृत सर्वेक्षण किया गया, जिससे 1,03,099 अत्यंत गरीब व्यक्तियों की पहचान की गई। इनमें से 81 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।


सर्वेक्षण के परिणाम और योजनाएं

सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, सरकार ने 73,000 माइक्रो योजनाएं तैयार कीं, जो नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुसार मदद प्रदान करती हैं। कोट्टायम जिले में 978 माइक्रो योजनाएं लागू की गईं, जिससे 4,394 परिवारों को आय के साधन मिले और 29,427 लोगों को स्वास्थ्य सहायता प्रदान की गई।


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