कोलकाता एयरपोर्ट पर मस्जिद की अनोखी स्थिति: सुरक्षा मानकों पर प्रभाव
कोलकाता एयरपोर्ट की अनोखी संरचना
भारत में एक ऐसा हवाईअड्डा है, जहां रनवे की सुरक्षा-रेखा के भीतर एक मस्जिद स्थित है। यह अनोखी स्थिति न तो आंध्र प्रदेश में है, न उत्तर प्रदेश में और न ही मध्य प्रदेश में, बल्कि यह कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (NSCBI Airport) में है। यहां बांकड़ा मस्जिद है, जो देश में अपनी तरह की एकमात्र संरचना है, जो सीधे रनवे के बीच में आती है और वर्षों से विमान की सुरक्षा के लिए चुनौती बनी हुई है।
बांकड़ा मस्जिद का इतिहास
100 साल पुरानी मस्जिद
बांकड़ा मस्जिद का निर्माण लगभग 1890 में हुआ था और यह लगभग 1,200 वर्गफुट क्षेत्र में फैली हुई है। हवाई अड्डा इसके कई दशक बाद स्थापित हुआ। 20वीं सदी में जब कोलकाता हवाई अड्डा बनाया गया और 1960 के दशक में इसका विस्तार हुआ, तब मस्जिद हवाई अड्डे के विस्तारित परिसर के भीतर आ गई। बाद में यह पता चला कि मस्जिद की स्थिति सीधे रनवे की फ्लाइट-सेफ्टी जोन में आती है, जो अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों के अनुसार एक बाधा मानी जाती है।
सेकंडरी रनवे पर प्रभाव
दूसरे रनवे की क्षमता पर बड़ा असर
कोलकाता एयरपोर्ट में दो समानांतर रनवे हैं: मुख्य और सेकंडरी। मुख्य रनवे अधिकांश उड़ानों को संभालता है, जबकि सेकंडरी रनवे मुख्य रनवे के बंद होने या धुंध जैसी स्थितियों में महत्वपूर्ण होता है। मस्जिद की उपस्थिति के कारण सेकंडरी रनवे का नॉर्दर्न थ्रेशोल्ड लगभग 88 मीटर पीछे खिसकाना पड़ा, जिससे उसकी कुल उपयोगी लंबाई कम हो गई। अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति लैंडिंग, टेक-ऑफ और आपात स्थितियों में परिचालन सुरक्षा को प्रभावित करती है, खासकर धुंध वाले मौसम में।
रनवे सुरक्षा मानकों की कमी
रनवे सुरक्षा मानकों में गंभीर कमी
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के नियमों के अनुसार, रनवे के अंत में कम से कम 240 मीटर का क्लियर क्षेत्र होना चाहिए, ताकि विमान सुरक्षित रूप से रुक सके या ओवरशूट की स्थिति को संभाला जा सके। लेकिन मस्जिद के कारण यह क्षेत्र केवल 160 मीटर रह गया है, जो मानक से काफी कम है। कोझिकोड विमान हादसे के बाद पूरे देश में रनवे सुरक्षा को लेकर फिर से गंभीरता बढ़ी है, और कोलकाता का यह मामला फिर से ध्यान आकर्षित कर रहा है।
समाधान की तलाश
AAI और पश्चिम बंगाल सरकार इस मुद्दे पर कई बार बैठकें कर चुकी हैं, लेकिन मस्जिद समिति द्वारा स्थानांतरण के विरोध के कारण कोई समाधान नहीं निकल सका। अधिकारियों ने वैकल्पिक उपाय भी सुझाए हैं, जैसे सुरंग बनाकर पहुंच मार्ग देना या नियंत्रित-प्रवेश वाली व्यवस्था बनाना। लेकिन अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
बढ़ते यातायात के साथ बढ़ती चिंताएं
ट्रैफिक बढ़ने के साथ चिंता भी बढ़ी
कोलकाता एयरपोर्ट पूर्वी भारत का प्रमुख प्रवेशद्वार है और हर साल लाखों यात्री यहां से यात्रा करते हैं। एयरपोर्ट के तेजी से विस्तार और बढ़ती फ्लाइट मूवमेंट के बावजूद, सेकंडरी रनवे पर मौजूद यह बाधा क्षमता वृद्धि की राह में एक बड़ी रुकावट बन गई है।