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कोलकाता हाई कोर्ट के बाहर महिलाओं ने आत्मदाह की कोशिश, मतदाता सूची पर चिंता

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कोलकाता हाई कोर्ट के बाहर तीन महिलाओं ने आत्मदाह का प्रयास किया, जिसके पीछे उनका दावा था कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। पुलिस ने समय पर हस्तक्षेप कर उन्हें बचा लिया। तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
 

कोलकाता में राजनीतिक तनाव के बीच आत्मदाह का प्रयास

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी संदर्भ में गुरुवार को कोलकाता हाई कोर्ट के मुख्य द्वार पर एक चौंकाने वाली घटना घटी, जब तीन महिलाओं ने आत्मदाह करने का प्रयास किया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। महिलाओं का आरोप था कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे, जबकि जांच एजेंसियां इस दावे को संदिग्ध मान रही हैं।


पुलिस की तत्परता से बची जानें

गुरुवार दोपहर कोलकाता हाई कोर्ट के मुख्य गेट पर अचानक स्थिति तनावपूर्ण हो गई। बिश्नुपुर थाना क्षेत्र की तीन महिलाएं - पूर्निमा हल्दर, सुतिष्णा सपूई और बंदना नस्कर वहां पहुंचीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पूर्निमा हल्दर ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालना शुरू किया, जिसमें अन्य दो महिलाओं ने उसकी सहायता की। हालांकि, मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप कर उन्हें आत्मदाह से रोक लिया।


महिलाओं को हिरासत में लिया गया

घटना के बाद तीनों महिलाओं को हिरासत में लेकर दक्षिण कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मदाह का मुख्य प्रयास पूर्निमा हल्दर ने किया था। फिलहाल, तीनों से पूछताछ जारी है ताकि इस कदम के पीछे की असली वजह का पता लगाया जा सके।


मतदाता सूची से नाम कटने का भय

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में महिलाओं ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि चुनाव आयोग जैसे ही विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू करेगा, उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। इस डर के चलते उन्होंने यह कदम उठाया। हालांकि, जांच अधिकारियों का कहना है कि राज्य में अभी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, इसलिए उनका दावा संदिग्ध है।


तृणमूल कांग्रेस का केंद्र पर हमला

इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पहले से ही आक्रामक रुख अपनाए हुए है। पार्टी के महासचिव और लोकसभा नेता अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को कहा था कि यह प्रक्रिया तभी मान्य होगी जब मौजूदा संसद भंग की जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई थी, तो पिछला लोकसभा चुनाव भी उसी गड़बड़ सूची से हुआ है। इसलिए, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव उसी सूची से हुए, वहां की विधानसभाएं भी भंग की जानी चाहिए।