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कौन बनेगा करोड़पति में भारतीय सेना की बहादुरी की कहानी

कौन बनेगा करोड़पति के आगामी एपिसोड में भारतीय सेना के जवानों की बहादुरी की कहानियाँ साझा की जाएंगी। कर्नल सोफिया कुरैशी, जिनके पूर्वज रानी लक्ष्मीबाई के लिए लड़े थे, अपने परिवार के सैन्य इतिहास को साझा करेंगी। इस एपिसोड में महिला सशक्तिकरण और भारतीय सेना के समान प्रशिक्षण पर चर्चा की जाएगी। जानें कर्नल कुरैशी का जीवन और रानी लक्ष्मीबाई का योगदान।
 

भारतीय सेना के जवानों की प्रेरणादायक कहानियाँ

कौन बनेगा करोड़पति के आने वाले एपिसोड में भारतीय सेना के जवानों ने साझा किया कि कर्नल सोफिया कुरैशी के पूर्वज रानी लक्ष्मीबाई के लिए लड़े थे। इस एपिसोड में कर्नल कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह (भारतीय वायु सेना) और कमांडर प्रेरणा देवस्थली (भारतीय नौसेना) शामिल होंगे, जिसे अमिताभ बच्चन होस्ट करेंगे।


सोनी टीवी द्वारा साझा किए गए एक क्लिप में, कर्नल कुरैशी अपने परिवार के इतिहास के बारे में बात करती हैं। उन्होंने बच्चन से कहा, "मैं एक ऐसे परिवार से हूँ जहाँ सभी सदस्य सेना में हैं। मेरी परदादी के पूर्वज रानी लक्ष्मीबाई के साथ थे। मैंने लोरियाँ नहीं सुनीं, बल्कि बहादुरी की कहानियाँ सुनी हैं।"


कर्नल सोफिया कुरैशी का दृष्टिकोण

कर्नल सोफिया कुरैशी की बातें


कर्नल कुरैशी ने बताया कि भारतीय सेना में सभी को समान प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक लैंगिक-तटस्थ सेना है। इस एपिसोड में, कर्नल कुरैशी, विंग कमांडर सिंह और कमांडर देवस्थली महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर के महत्वपूर्ण क्षणों का भी उल्लेख करेंगे।


कर्नल कुरैशी का परिवार और उनका इतिहास

शायना सुनसारा का बयान


कर्नल कुरैशी की बहन शायना सुनसारा ने बताया कि उनके पिता 1971 के बांग्लादेश युद्ध में लड़े थे और उनके दादा भी सेना में थे। उन्होंने कहा, "मेरे दादा के दादा ब्रिटिश सेना में थे, जो बाद में क्रांतिकारी लड़ाई में शामिल हो गए। हमारी दादी हमें झाँसी की रानी की कहानियाँ सुनाती थीं।"


कर्नल सोफिया कुरैशी का परिचय

कर्नल कुरैशी का जीवन


कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ। उन्होंने 1997 में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। वह वर्तमान में भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में कार्यरत हैं और 2016 में आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास 'फोर्स 18' में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी थीं।


रानी लक्ष्मीबाई का योगदान

रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास


झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, जिनका जन्म मणिकर्णिका तांबे के नाम से हुआ, भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। उन्होंने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के प्रतिरोध का प्रतीक बनीं। उनकी मृत्यु 18 जून 1858 को ग्वालियर के युद्ध में हुई।