क्या अमेरिका की शांति नीति सिर्फ दिखावा है? भारत पर 50% टैरिफ का विवाद
अमेरिका के दोहरे मानदंड
America Double Standards: अमेरिका, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र माना जाता है, एक ओर युद्ध समाप्त करने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर वह हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। यह स्पष्ट है कि अमेरिका की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। रूस-यूक्रेन युद्ध को 'असहनीय' बताने वाला अमेरिका अब खुद इस संघर्ष में हथियार, तकनीक और वित्तीय सहायता डाल रहा है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
भारत पर टैरिफ का आरोप
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर युद्ध को बढ़ावा दे रहा है। इसी कारण अमेरिका ने भारत से आने वाले उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगा दिया है। भारत ने इस कदम को 'अनुचित और तर्कहीन' बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अब यह सवाल उठता है कि क्या यह अमेरिका की शांति नीति है या फिर वैश्विक शक्ति का एक हथियार?
यूक्रेन को अमेरिकी सहायता
24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर बड़ा हमला किया, जिसके बाद अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा सैन्य और आर्थिक सहयोगी बन गया। 12 मार्च 2025 तक, अमेरिका ने यूक्रेन को लगभग $66.9 अरब डॉलर (5,86,746 करोड़ रुपये) की सैन्य सहायता प्रदान की है। इस सहायता में पैट्रियट मिसाइल सिस्टम, ब्रैडली बख्तरबंद वाहन, स्टिंगर और जैवलिन मिसाइलें, हजारों ड्रोन और अरबों राउंड गोला-बारूद शामिल हैं।
कुल सहायता का आंकड़ा
अमेरिकी कांग्रेस ने अब तक यूक्रेन के लिए पांच बड़े सहायता पैकेज पास किए हैं, जिनकी कुल राशि $175 अरब डॉलर (15,34,720 करोड़ रुपये) है। इनमें से $128 अरब डॉलर (11,22,653 करोड़ रुपये) आर्थिक और प्रशासनिक जरूरतों के लिए हैं, न कि केवल युद्ध के लिए।
नाटो की भूमिका
यूक्रेन को केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि लगभग 50 देशों ने सैन्य सहायता भेजी है। इसमें 10 लॉन्ग-रेंज MLRS, 178 लंबी दूरी की तोपें, लगभग 1 लाख गोले, 2.5 लाख एंटी-टैंक हथियार, 359 टैंक और 8,214 एयर डिफेंस मिसाइलें शामिल हैं। नाटो के पास 3.4 मिलियन सक्रिय सैनिक और 22,377 एयरक्राफ्ट हैं। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस की युद्ध-आर्थिकी इतनी तेज है कि वह वही हथियार 3 महीने में बना लेता है, जो नाटो एक साल में बनाता है।
भारत के लिए अमेरिका का दोहरा मापदंड
अमेरिका वही देश है जिसने भारत पर 50% का टैरिफ लगाया है। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उठाया, यह आरोप लगाते हुए कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर युद्ध को फंड कर रहा है। इससे पहले अमेरिका 25% का टैरिफ पहले ही लगा चुका था। अब सवाल यह है कि अगर भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदना युद्ध में योगदान है, तो अमेरिका द्वारा यूक्रेन को मिसाइलें, ड्रोन और टैंक भेजना क्या है? क्या अमेरिका का असली चेहरा अब पूरी दुनिया के सामने आ रहा है, एक ऐसा देश जो शांति की बात करता है लेकिन हथियारों की बौछार करता है?