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क्या अमेरिका के टैरिफ़ ने भारत को रूस से यूक्रेन युद्ध की रणनीति पर सवाल उठाने पर मजबूर किया?

नाटो के महासचिव मार्क रूट ने बताया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ़ के कारण भारत ने रूस से यूक्रेन युद्ध की रणनीति पर स्पष्टीकरण मांगा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में पुतिन से फोन पर बात की। अमेरिका का मानना है कि ये टैरिफ़ भारत को रूस से ऊर्जा खरीदने से रोकने के लिए हैं। भारत ने इस टैरिफ़ को अनुचित बताया है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और भारत की प्रतिक्रिया।
 

अमेरिकी टैरिफ़ का प्रभाव

US tariffs: नाटो के महासचिव मार्क रूट ने गुरुवार को बताया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ़ के चलते भारत ने रूस से यूक्रेन युद्ध की रणनीति के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की है।


नाटो महासभा में रूट का बयान

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, मार्क रूट ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ़ का भारत पर गहरा असर पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि रूस यूक्रेन के मामले में क्या कदम उठाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि टैरिफ़ के चलते भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक संतुलन को बनाए रखने के लिए रूस से स्पष्टीकरण चाहता है।


ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर 25% का टैरिफ़ लगाया। इसके साथ ही, भारत को रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त जुर्माना भी देना होगा। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इन टैरिफ़ का उद्देश्य भारत को रूस से ऊर्जा खरीदने से रोकना है, क्योंकि अमेरिका का मानना है कि यह अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों का समर्थन करता है।


नाटो और वैश्विक दबाव

ट्रंप ने नाटो देशों से आग्रह किया है कि वे चीन पर टैरिफ़ लगाने के साथ-साथ रूसी तेल की खरीद को भी कम करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद कर दें, तो अमेरिका रूस पर "बड़े प्रतिबंध" लगाने के लिए तैयार है। उनका कहना है कि कुछ देशों द्वारा रूस के तेल की निरंतर खरीद नाटो की वार्ता की स्थिति को कमजोर कर रही है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ़ को अनुचित करार दिया है और कहा है कि वैश्विक आपूर्ति में व्यवधानों के बीच 1.4 अरब नागरिकों के लिए सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि रूस से ऊर्जा खरीदना भारत की रणनीतिक आवश्यकताओं और घरेलू ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। वहीं, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के साथ पर्याप्त व्यापार बनाए रखा है।


व्यापारिक वार्ता और भविष्य की राह

टैरिफ़ के कारण उत्पन्न तनाव के बीच, भारत और अमेरिका ने न्यूयॉर्क में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में व्यापार वार्ता की। यह वार्ता दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मार्क रूट के बयान पर नई दिल्ली और मास्को की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।