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क्या अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार समझौते के लिए ताइवान को बलिदान किया?

डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ व्यापार समझौते की संभावनाओं को देखते हुए ताइवान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को निलंबित कर दिया है। यह निर्णय अमेरिका की 'ट्रांजेक्शनल' विदेश नीति का हिस्सा है, जिसमें सहयोगियों से अपनी रक्षा के लिए खुद खर्च करने की अपेक्षा की जाती है। ताइवान के लिए यह स्थिति संकटपूर्ण है, क्योंकि चीन लगातार सैन्य दबाव बना रहा है। क्या यह कदम ताइवान की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पूरी जानकारी।
 

ट्रंप का व्यापार समझौते के लिए ताइवान पर निर्णय

ट्रंप का चीन के साथ व्यापार सौदा: डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने ताइवान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को निलंबित करने का निर्णय लिया है। अमेरिका ने ताइवान को 400 मिलियन डॉलर का सैन्य सहायता पैकेज रोक दिया है, जिसमें स्वायत्त ड्रोन और अन्य सैन्य उपकरण शामिल थे। यह कदम तब उठाया गया है जब ट्रंप प्रशासन चीन के साथ व्यापार सौदे की संभावनाओं को देख रहा है। चीन ताइवान को अपनी भूमि का हिस्सा मानता है और उस पर सैन्य आक्रमण की धमकी हमेशा बनी रहती है, ऐसे में ताइवान के लिए अमेरिकी सैन्य सहायता अत्यंत महत्वपूर्ण है।


ट्रंप की 'ट्रांजेक्शनल' विदेश नीति
व्हाइट हाउस की नीति के अनुसार, ट्रंप का दृष्टिकोण 'ट्रांजेक्शनल' है, जिसका अर्थ है कि अमेरिका चाहता है कि उसके सहयोगी अपनी रक्षा के लिए खुद खर्च करें। उन्होंने नाटो के अन्य देशों से भी यही अपेक्षाएँ की हैं कि वे अपनी रक्षा खर्च को बढ़ाएं और अमेरिकी समर्थन पर निर्भरता को कम करें। ताइवान भी अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विशेष निधि आवंटित कर रहा है।


चीन का ताइवान पर दबाव और अमेरिकी रक्षा संबंध
ताइवान के लिए यह स्थिति अत्यंत संकटपूर्ण है क्योंकि चीन लगातार सैन्य दबाव बना रहा है। चीनी युद्धपोत और विमानों की ताइवान के आस-पास घुसपैठ से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। इस बीच, ताइवान को अमेरिकी रक्षा सहायता की सख्त आवश्यकता है ताकि वह चीन के हमले से खुद को बचा सके। ट्रंप द्वारा यह रक्षा सहायता रोकना सीधे तौर पर चीन के साथ सौदेबाजी की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि अमेरिकी सरकार चीन के साथ व्यापार युद्ध में उलझी हुई है।


चीन के साथ व्यापार समझौते की स्थिति
चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में असहमति का एक प्रमुख कारण सोयाबीन के व्यापार में बदलाव है, जहां चीन ने अमेरिकी सोयाबीन के बजाय ब्राजील से खरीदारी शुरू कर दी है। अमेरिकी किसान इस बदलाव से चिंतित हैं, क्योंकि चीन अमेरिकी सोयाबीन का लगभग 25% खरीदा करता था। इसके अलावा, ताइवान से जुड़ी रणनीतिक स्थिति और अमेरिकी आर्थिक दबावों के कारण, ट्रंप चीन के साथ सौदे की कोशिश कर रहे हैं।


अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव
चीन की ताइवान पर बढ़ती सैन्य गतिविधियों और संभावित आक्रमण के साथ, ट्रंप द्वारा ताइवान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को रोकने का निर्णय अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव की ओर इशारा करता है। यह कदम ट्रंप के 'ट्रांजेक्शनल' दृष्टिकोण का हिस्सा हो सकता है, जो व्यापार समझौतों में सभी पक्षों के लाभ के अनुसार तालमेल बैठाने की कोशिश करता है। हालांकि, इस स्थिति का असर ताइवान की सुरक्षा पर पड़ सकता है और वह चीन के सामने अकेला महसूस कर सकता है।