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क्या अमेरिका परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहा है?

अमेरिका और रूस के बीच परमाणु परीक्षण की बढ़ती चिंताएँ वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। क्या ये दोनों महाशक्तियाँ एक नए परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रही हैं? जानें इस लेख में।
 

अमेरिका और रूस के बीच परमाणु परीक्षण की बढ़ती चिंताएँ


अमेरिका ने हाल ही में मिनटमैन-3 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया, जबकि रूस ने भी अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की बात कही है।


नई दिल्ली: वर्तमान में, दुनिया कई नई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें से एक प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियाँ हैं। ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति के माध्यम से वैश्विक आर्थिक मंदी की स्थिति पैदा की थी और अब उन्होंने परमाणु हथियारों के प्रसार को लेकर चिंता बढ़ा दी है।


हाल ही में, ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले अपने परमाणु हथियारों के विस्तार के बारे में बयान दिया। इसके बाद, अमेरिका ने मिनटमैन-3 आईसीबीएम का परीक्षण किया, जिससे सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। अमेरिका ने चीन और रूस के साथ चल रही खींचतान को इस परीक्षण का मुख्य कारण बताया।


रूस का परमाणु परीक्षण का संकेत

कुछ दिन पहले, ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका फिर से परमाणु परीक्षण शुरू कर सकता है। इस पर, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने रक्षा मंत्रालय को आदेश दिया है कि वे परमाणु परीक्षण की संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार करें। इस प्रकार, दोनों महाशक्तियों के बीच की बयानबाजी वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन गई है।


पुतिन ने कहा कि रूस केवल तभी परमाणु परीक्षण करेगा जब अमेरिका पहले ऐसा कदम उठाएगा। उन्होंने अपने रक्षा और विदेश मंत्रालयों को अमेरिकी इरादों का विश्लेषण करने और रूस की संभावित तैयारियों पर ठोस प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया। पुतिन ने यह भी कहा कि मॉस्को अपने सुरक्षा हितों की अनदेखी नहीं करेगा।


अमेरिकी ऊर्जा मंत्री का स्पष्टीकरण

30 अक्टूबर को, ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका रूस और चीन की तरह अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है। यह बयान उन्होंने दक्षिण कोरिया में रहते हुए सोशल मीडिया पर दिया। ट्रंप के इस बयान ने रूस, चीन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी।


हालांकि, अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने बाद में स्पष्ट किया कि नए परीक्षणों में न्यूक्लियर विस्फोट शामिल नहीं होंगे।