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क्या अहमदाबाद बनेगा 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स का मेज़बान? जानें क्या है पूरी कहानी

कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की कार्यकारी समिति ने अहमदाबाद को 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए संभावित मेज़बान शहर के रूप में चुना है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो यह भारत के लिए गर्व का विषय होगा, क्योंकि यह 2010 के बाद दूसरी बार होगा जब भारत इस प्रतिष्ठित आयोजन की मेज़बानी करेगा। इस लेख में जानें कि कैसे यह आयोजन न केवल खेलों में, बल्कि रोजगार, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में भी अवसर पैदा करेगा।
 

अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स 2030


अहमदाबाद कॉमनवेल्थ गेम्स 2030: कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की कार्यकारी समिति ने भारत के अहमदाबाद को 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए संभावित मेज़बान शहर के रूप में चुना है। यदि यह प्रस्ताव नवंबर 2025 में ग्लासगो में होने वाली आम सभा में स्वीकृत होता है, तो अहमदाबाद 2030 में 24वें संस्करण की मेज़बानी करेगा, जो कि कॉमनवेल्थ गेम्स की 100वीं वर्षगांठ भी होगी।


भारत में दूसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स
अगर भारत को 2030 में मेज़बानी का मौका मिलता है, तो यह 2010 में नई दिल्ली के बाद दूसरी बार होगा जब भारत इस महत्वपूर्ण मल्टी-स्पोर्ट इवेंट की मेज़बानी करेगा। यह बोली केवल एक खेल आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए एक मजबूत आधार तैयार करना है।


2034 के लिए रोडमैप पर सहमति
इस प्रक्रिया में नाइजीरिया की राजधानी अबुजा ने भी एक मजबूत बोली प्रस्तुत की। हालांकि, अंतिम सिफारिश अहमदाबाद के पक्ष में रही, लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स बोर्ड ने नाइजीरिया की महत्वाकांक्षा को मान्यता दी और भविष्य में, विशेषकर 2034 संस्करण के लिए, अफ्रीका में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करने की संभावनाओं पर विचार करने का आश्वासन दिया।


अहमदाबाद की तैयारी और भारत का दृष्टिकोण
भारत की तरफ से प्रस्तुत की गई बोली में खेलों की समग्र व्यवस्था, खिलाड़ियों के अनुभव, अवसंरचना, तकनीकी दक्षता और कॉमनवेल्थ मूल्यों के साथ समन्वय पर विशेष ध्यान दिया गया। अहमदाबाद का प्रस्ताव यह दर्शाता है कि भारत एक समावेशी, आधुनिक और वैश्विक स्तर के आयोजन की मेज़बानी करने में सक्षम है।


2047 की दिशा में एक प्रेरक कदम
कॉमनवेल्थ गेम्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि यदि भारत को शताब्दी संस्करण की मेज़बानी मिलती है, तो यह देश के लिए गर्व का विषय होगा। उन्होंने इसे "विकसित भारत 2047" के सपने की दिशा में एक प्रेरक अवसर बताया और उम्मीद जताई कि यह आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मज़बूत करेगा।


खेल से परे असर, रोजगार, पर्यटन और अवसर
2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 72 देशों और क्षेत्रों की भागीदारी की उम्मीद है। इससे केवल खेल के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पर्यटन, रोजगार, निर्माण, सेवाएं और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, भारत उन खेलों को फिर से शामिल करने की योजना बना रहा है जो 2026 के गेम्स से हटा दिए गए थे, जैसे: हॉकी, बैडमिंटन, क्रिकेट, कुश्ती, टेबल टेनिस, स्क्वैश और रग्बी सेवेंस।


कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की रणनीतिक सोच
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स के अंतरिम अध्यक्ष डॉ. डोनाल्ड रुकारे ने भारत और नाइजीरिया दोनों की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों की प्रस्तुतियाँ प्रेरणादायक थीं। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद की सिफारिश एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो न केवल इतिहास को सम्मान देगा, बल्कि भविष्य के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स की नई दिशा भी तय करेगा।


कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की CEO, केटी सैडलियर ने इसे रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि 2030 का आयोजन केवल इतिहास का उत्सव नहीं होगा, बल्कि यह दिखाएगा कि आधुनिक कॉमनवेल्थ खेलों का सामाजिक और वैश्विक प्रभाव कैसे बढ़ सकता है।


भारत को मिल सकती है ऐतिहासिक जिम्मेदारी
ग्लासगो में 26 नवंबर 2025 को होने वाली कॉमनवेल्थ स्पोर्ट जनरल असेंबली में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यदि अनुमोदन मिलता है, तो भारत 100 साल बाद के कॉमनवेल्थ गेम्स का मेज़बान बनकर इतिहास रचेगा, और यह देश के लिए वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बनाने का सुनहरा अवसर होगा।