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क्या डर ही है युद्ध का कारण? रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान संघर्ष का विश्लेषण

पिछले तीन वर्षों में रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान के बीच हुए संघर्षों ने वैश्विक स्तर पर कई मुद्दों को जन्म दिया है। इन संघर्षों में 'डर' की भूमिका को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल सैन्य निर्णयों को प्रभावित करता है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और मानवीय संकटों को भी प्रभावित करता है। जानें कि कैसे ये संघर्ष वैश्विक स्थिरता को चुनौती दे रहे हैं और आगे का रास्ता क्या हो सकता है।
 

दुनिया के दो बड़े संघर्षों का प्रभाव

पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान के बीच दो प्रमुख संघर्षों ने ध्यान आकर्षित किया है। इन दोनों मामलों में 'डर' या 'फियर फैक्टर' ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक ओर, नाटो में यूक्रेन के शामिल होने की आशंका है, जबकि दूसरी ओर, ईरान के परमाणु हथियारों के विकास का भय है। इन कारणों ने युद्ध की स्थिति को और बढ़ावा दिया है.


संघर्षों के परिणाम

इन संघर्षों ने वैश्विक ऊर्जा संकट और भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया है। तेल की कीमतों में वृद्धि, आर्थिक अस्थिरता और मानवीय संकट जैसे परिणाम सामने आए हैं, जिनका असर भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ा है.


रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि

रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया, जब उसे लगा कि कीव नाटो का सदस्य बन सकता है। मास्को को चिंता थी कि नाटो का विस्तार उसकी सीमाओं तक अमेरिकी सैन्य शक्ति को पहुंचा सकता है। रूसी अधिकारियों ने बार-बार कहा, 'यूक्रेन की नाटो में एंट्री हमारे लिए अस्वीकार्य है। हमें सीमा सुरक्षा की गारंटी चाहिए।' इस स्थिति ने तनाव को बढ़ाया और शीत युद्ध की पुरानी परतें फिर से सक्रिय हो गईं.


गाजा से तेहरान तक: परमाणु खतरे का डर

7 अक्टूबर 2023 को, हमास ने इजरायल पर हमला किया, जिसके जवाब में इजरायल ने गाजा पट्टी पर बमबारी की। इस संघर्ष में ईरान का परमाणु हथियार हासिल करने का डर इजरायल के लिए चिंता का विषय है। इजरायली रक्षा सूत्रों का कहना है, 'अगर ईरान के पास बम आया, तो मध्य पूर्व में संतुलन बिखर जाएगा।'


फियर फैक्टर का प्रभाव

इन दोनों युद्धों में 'डर' ने निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन में नाटो के विस्तार का डर और इजरायल-ईरान संघर्ष में परमाणु हथियारों का भय, दोनों ने सैन्य विकल्पों को वैधता प्रदान की है.


आगे का रास्ता: डर को कैसे समाप्त करें?

विश्लेषकों का मानना है कि 'फियर फैक्टर' को समाप्त किए बिना स्थायी शांति संभव नहीं है। इसके लिए विश्वसनीय सुरक्षा गारंटियों की आवश्यकता है, जैसे नाटो-रूस वार्ता। इसके अलावा, पारदर्शी परमाणु वार्ता और बहुपक्षीय कूटनीति भी आवश्यक हैं। डर जितना बढ़ता है, युद्ध की संभावनाएं उतनी ही बढ़ती हैं। इसे कम करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और वैचारिक बहुलता दोनों की आवश्यकता है.