क्या ताइवान पर इज़राइल के हमलों का असर? चीन की जासूसी से बढ़ी चिंता
ताइवान में इज़राइल के हमलों का प्रभाव
हाल ही में ईरान में इज़राइल द्वारा किए गए सटीक खुफिया हमलों ने ताइवान में नई चिंताओं को जन्म दिया है। ताइवान के रक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इज़राइल के तेहरान में लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाने के तरीके को चीन ताइवान में भी अपना सकता है.
चीन की घुसपैठ
ताइवान इंटरनेशनल स्ट्रेटेजिक स्टडी सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक मैक्स लो के अनुसार, चीन ने ताइवान की रक्षा प्रणाली में गहरी घुसपैठ कर ली है। हाल के महीनों में जासूसी गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिसमें सक्रिय और सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की भागीदारी देखी गई है। यह संकेत करता है कि चीन एक दीर्घकालिक खुफिया नेटवर्क स्थापित कर चुका है.
राजनीतिक दलों पर भी खतरा
बीजिंग की जड़ें ताइवान की राजनीतिक संरचना में भी फैली हुई हैं। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) के चार पूर्व सहयोगियों पर चीन को संवेदनशील जानकारी लीक करने का आरोप है। इनमें ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई के करीबी लोग और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव शामिल हैं.
कमांड सिस्टम पर जासूसी का खतरा
विश्लेषकों का मानना है कि बीजिंग का उद्देश्य केवल खुफिया जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि ताइवान के कमांड और नियंत्रण ढांचे को कमजोर करना भी है। चीन की जासूसी सैन्य ठिकानों, रडार स्टेशनों, हवाई अड्डों और साइबर नोड्स तक फैली हुई है, जिससे ताइवान के आत्मरक्षा तंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है.
इज़राइल के मॉडल से बढ़ी चिंता
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर अलेक्जेंडर हुआंग चीह-चेंग ने बताया कि इज़राइल ने ईरान में जिस तरह से बंकर-भेदी बमों से लक्ष्यों को निशाना बनाया, वह ताइवान के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह दर्शाता है कि सटीक सैन्य खुफिया जानकारी किसी देश की संरचना को कैसे प्रभावित कर सकती है.
आत्मसमर्पण की आशंका
ताइवान की चिंता यह है कि यदि चीन उसके सैन्य कमांडरों और नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखता है, तो संघर्ष की स्थिति में कमांड लाइन को तोड़कर ताइवान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया जा सकता है. भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक समानताओं के कारण बीजिंग के लिए यह रणनीति लागू करना आसान हो सकता है.
अमेरिका की भूमिका
हालांकि अमेरिका ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देता, लेकिन 'ताइवान संबंध अधिनियम' के तहत उसकी रक्षा के लिए बाध्य है। यदि चीन ताइवान के खिलाफ इज़राइल जैसा ऑपरेशन करता है, तो यह अमेरिका और चीन के बीच सीधे टकराव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है.