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क्या न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा? जानें पूरी कहानी

दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, जिसमें इस प्रस्ताव को पेश किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित जांच पैनल ने वर्मा के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए हैं। आग लगने की घटना ने इस मामले को उजागर किया, जिसमें जले हुए नोटों का ढेर मिला। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 

महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी

दिल्ली में एक सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवादों में घिर गए हैं। अब संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें विपक्ष का भी समर्थन शामिल है।


संसद का मानसून सत्र

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित होगा। संविधान के अनुसार, किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं। प्रस्ताव पेश होने के बाद एक जांच समिति का गठन किया जाएगा, जो आरोपों की गहन जांच करेगी।


सुप्रीम कोर्ट की जांच में मिले सबूत

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष जांच पैनल ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट में बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों के लिए "पर्याप्त प्रमाण" मौजूद हैं। पैनल ने सिफारिश की है कि उन्हें पद से हटाया जाए। जांच के दौरान 55 गवाहों से पूछताछ की गई और यह निष्कर्ष निकाला गया कि न्यायाधीश और उनके परिवार का अपने सरकारी आवास के स्टोर रूम पर सीधा नियंत्रण था।


आग की घटना से खुलासा

14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना ने इस मामले को उजागर किया। उस समय वे घर पर नहीं थे। आग बुझाने के बाद स्टोर रूम में जले हुए नोटों का ढेर मिला, जिसकी ऊंचाई लगभग डेढ़ फीट थी। इस मामले को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के ध्यान में लाया गया, जिसके बाद उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया गया।


धन के स्रोत पर संदेह

जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा नकदी के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दे सके। उन्होंने आरोपों को साजिश बताया, लेकिन सबूतों और गवाहों के बयानों से उनकी बातों को समर्थन नहीं मिला।


पूर्व CJI की सिफारिश

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पैनल की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की औपचारिक सिफारिश की थी। अब सरकार और विपक्ष दोनों की सहमति से यह मामला संसद में पहुंचने को तैयार है, जो न्यायपालिका की गरिमा और जवाबदेही से जुड़ा एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।