क्या बांग्लादेशी संदिग्ध भारत में हैं? मेघालय पुलिस ने खारिज की अफवाहें
बांग्लादेशी नेता की हत्या के संदिग्धों पर उठे सवाल
नई दिल्ली : बांग्लादेश में इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के संदिग्ध, फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख, हाल ही में भारत में होने की अफवाहों के कारण चर्चा में हैं। ढाका महानगर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन आरोपों का उल्लेख किया है, लेकिन मेघालय पुलिस और बीएसएफ ने इसे पूरी तरह से नकार दिया है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि बांग्लादेशी मीडिया में चल रही झूठी खबरें मेघालय की सीमावर्ती शांति को खतरे में डाल सकती हैं।
मेघालय पुलिस का स्पष्टीकरण
मेघालय पुलिस का खंडन
मेघालय पुलिस के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि उन्हें बांग्लादेश पुलिस से कोई औपचारिक या अनौपचारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। जिन संदिग्धों का नाम लिया गया है, उन्हें गारो हिल्स में नहीं पाया गया और न ही किसी की गिरफ्तारी हुई है। एक अधिकारी ने बताया कि यह खबर पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। उन्होंने कहा कि सीमापार अपराधों और झड़पों से जूझते मेघालय में ऐसे दावे अव्यवस्था और भय फैलाने वाले हैं।
हादसे का विवरण
12 दिसंबर को हुआ था हमला
12 दिसंबर को ढाका के विजयनगर क्षेत्र में उस्मान हादी पर हमला हुआ था। चुनाव प्रचार के दौरान उन पर गोली चलाई गई, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। बाद में सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इस हत्या ने बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल के साथ-साथ भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा चिंताओं को भी बढ़ा दिया।
बांग्लादेशी मीडिया के दावे
बांग्लादेश मीडिया के दावे
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मोहम्मद नजर-उल इस्लाम ने एक समाचार पत्र को बताया कि उनके पास जानकारी है कि संदिग्ध भारत में प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों आरोपी हलुआघाट सीमा पार कर मेघालय पहुंचे और वहां पहले पुरती नामक व्यक्ति तथा बाद में टैक्सी चालक सामी से संपर्क किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में अधिकारियों ने पुरती और सामी को हिरासत में लिया है।
राज्य की शांति पर अफवाहों का प्रभाव
अफवाहों से राज्य की शांति पर प्रभावित
मेघालय पुलिस ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि सीमा पार अफवाहें राज्य की स्थिरता और शांति को प्रभावित कर सकती हैं। यह मामला यह दर्शाता है कि सीमावर्ती राज्यों में संवेदनशील परिस्थितियों में मीडिया रिपोर्ट और अफवाहों का प्रभाव अत्यधिक होता है। अधिकारियों ने जनता से शांति बनाए रखने और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करने का आग्रह किया। इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट किया है कि राजनीतिक हत्याओं के संदिग्धों और सीमावर्ती सुरक्षा को लेकर अफवाहें दोनों देशों की जनता और सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं।