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क्या बेंगलुरु बन सकता है भारत की नई राष्ट्रीय राजधानी? युवती का सुझाव चर्चा का विषय

दिल्ली की सिमरिधि मखीजा ने बेंगलुरु को भारत की नई राष्ट्रीय राजधानी बनाने का सुझाव दिया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। उन्होंने दिल्ली की वायु गुणवत्ता और महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताई है। उनके विचारों ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया है कि क्या भारतीय शहरों को अधिक स्वच्छ और सुरक्षित बनाना संभव है। जानें इस मुद्दे पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं और क्या यह सुझाव व्यावहारिक है।
 

दिल्ली की युवती का सुझाव

नई दिल्ली: एक युवती के विचार ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें पूछा जा रहा है कि क्या भारत की राष्ट्रीय राजधानी को बदलने का समय आ गया है। यह चर्चा तब शुरू हुई जब सिमरिधि मखीजा, जो हाल ही में दिल्ली से बेंगलुरु गई हैं, ने एक वीडियो में कहा कि बेंगलुरु को दिल्ली की जगह राष्ट्रीय राजधानी बनाना चाहिए। उनका यह बयान तेजी से वायरल हो गया और इससे वायु प्रदूषण, महिलाओं की सुरक्षा और शहरी जीवन की गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर फिर से चर्चा शुरू हो गई।


इंस्टाग्राम वीडियो से शुरू हुआ विवाद

सिमरिधि ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि वे पिछले दो महीनों से बेंगलुरु में रह रही हैं। हाल ही में जब वे अपने माता-पिता से मिलने दिल्ली लौटीं, तो दोनों शहरों के बीच के अंतर ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने खुद को "दिल्ली गर्ल" बताते हुए कहा कि अब उन्हें यह स्पष्ट महसूस होता है कि बेंगलुरु में जीवन की गुणवत्ता बेहतर है।


प्रदूषण बना सबसे बड़ा सवाल

मखीजा ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में दिल्ली का प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सामान्य जीवन जीना कठिन हो गया है। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने दिल्ली में रहने को गैस चैंबर जैसा बताया और सवाल उठाया कि देश की राजधानी इतनी खराब पर्यावरणीय स्थिति में क्यों है। उनका तर्क था कि जिस शहर को दुनिया भारत का चेहरा मानती है, वहां साफ हवा और बेहतर जीवन की बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए।


महिलाओं की सुरक्षा पर जोर

सुरक्षा का मुद्दा भी उनके वीडियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। मखीजा के अनुसार, बेंगलुरु में महिलाओं के लिए माहौल अपेक्षाकृत सुरक्षित लगता है। उन्होंने कहा कि रात के समय अकेले टहलना उन्हें असहज नहीं लगता। उनके अनुसार, दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जो डर है, वह बेंगलुरु में उतना नहीं है। यही कारण है कि वे इस शहर को रहने के लिए बेहतर मानती हैं।


शहरी ढांचा और पैदल चलने की सुविधा

मखीजा ने शहरी बुनियादी ढांचे की तुलना भी की। उनका कहना था कि बेंगलुरु की सड़कें और सार्वजनिक स्थान पैदल चलने वालों के लिए अधिक अनुकूल हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों को प्रदूषित हवा, ट्रैफिक और अव्यवस्थित फुटपाथों का सामना क्यों करना चाहिए। उनके अनुसार, अगर राजधानी का दर्जा किसी ऐसे शहर को मिले जहां जीवन स्तर बेहतर हो, तो भारत की वैश्विक छवि भी मजबूत होगी।


सोशल मीडिया पर बंटी राय

इस वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं। कुछ यूज़र्स ने मखीजा की बातों से सहमति जताई और दिल्ली में प्रदूषण व सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। वहीं, कई लोगों ने पलटवार करते हुए कहा कि बेंगलुरु की भी अपनी गंभीर समस्याएं हैं, जैसे ट्रैफिक जाम, पानी की कमी और तेजी से बढ़ता शहरी दबाव। कुछ ने यह भी याद दिलाया कि राजधानी तय करने में सिर्फ जीवन स्तर ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, राजनीतिक और प्रशासनिक पहलुओं की भी अहम भूमिका होती है।


एक जरूरी बहस की शुरुआत

हालांकि यह सुझाव व्यावहारिक न लगे, लेकिन सिमरिधि मखीजा का वीडियो एक महत्वपूर्ण सवाल छोड़ गया है। इस बहस ने यह सोचने पर मजबूर किया है कि भारतीय शहरों को अधिक स्वच्छ, सुरक्षित और रहने योग्य बनाने के लिए किन प्राथमिकताओं पर काम होना चाहिए। राजधानी बदले या न बदले, लेकिन यह चर्चा स्पष्ट रूप से शहरी भारत की चुनौतियों और संभावनाओं को उजागर करती है।