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क्या भारत और चीन की तेल खरीद से बढ़ रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध? ट्रंप का बड़ा बयान

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन की रूस से तेल खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यदि वह राष्ट्रपति होते, तो युद्ध शुरू नहीं होता। ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत पर अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है, जबकि रूस से सस्ता तेल खरीदने की उसकी जरूरत भी बनी हुई है। जानें इस मुद्दे पर क्या है विशेषज्ञों की राय और भारत की कूटनीतिक स्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

अमेरिकी राष्ट्रपति का विवादास्पद बयान

राष्ट्रीय समाचार: न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध इसलिए लंबा खिंच रहा है क्योंकि चीन और भारत लगातार रूसी तेल का आयात कर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि यदि वह उस समय राष्ट्रपति होते, तो यह युद्ध कभी शुरू नहीं होता। उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है।


ट्रंप का युद्ध की स्थिति पर दृष्टिकोण

ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि पिछले सात महीनों में सात युद्ध छिड़ चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी नीतियां अधिक स्पष्ट और कठोर होतीं, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। उन्होंने खुद को शांति का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनका अनुभव दुनिया को युद्ध से बचा सकता है। इस बयान पर कई देशों के नेताओं ने चुप्पी साध ली, लेकिन स्थिति में हलचल स्पष्ट थी।


भारत पर आर्थिक दबाव

भारत पर अतिरिक्त टैक्स: ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर नया आर्थिक बोझ डाला है। रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। यह दुनिया में सबसे ऊंचे टैक्स में से एक माना जा रहा है। इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। ट्रंप ने संकेत दिया कि जब तक भारत रूसी तेल खरीदना नहीं रोकता, तब तक दबाव बढ़ता रहेगा।


चीन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए

चीन की भूमिका पर सवाल: ट्रंप ने भारत के साथ-साथ चीन को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि चीन ने रूस को लगातार सहायता प्रदान की है, जिससे युद्ध को और बढ़ावा मिला है। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका पहले ही चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले चुका है, लेकिन अब और भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि रूस के लिए सबसे बड़ा सहारा चीन और भारत ही बन रहे हैं।


संयुक्त राष्ट्र महासभा का गंभीर माहौल

संयुक्त राष्ट्र का माहौल: ट्रंप के भाषण के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा का माहौल गंभीर हो गया। यूरोप के कई देशों के प्रतिनिधियों ने उनकी बातों पर सहमति जताई, जबकि एशियाई देशों ने चुप्पी साध ली। रूस का प्रतिनिधिमंडल इस बयान से नाराज दिखाई दिया और इसे अमेरिका की राजनीतिक चाल बताया। भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उनके चेहरे पर असहजता स्पष्ट थी।


भारत की कूटनीतिक स्थिति

भारत की मुश्किल बढ़ी: ट्रंप के इस बयान से भारत की कूटनीतिक स्थिति और जटिल हो सकती है। एक ओर, भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब संतुलन साधने की कोशिश करेगा। अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रखना भारत के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना रूस से सस्ता तेल लेना। आने वाले दिनों में भारत के फैसले बेहद महत्वपूर्ण होंगे।


वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

दुनिया की नजरें टिकीं: रूस-यूक्रेन युद्ध पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति का यह आरोप माहौल को और गरमा सकता है। ट्रंप के बयानों से स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारत और चीन पर दबाव और बढ़ेगा। वैश्विक राजनीति अब रूस-यूक्रेन युद्ध से कहीं ज्यादा अमेरिका, भारत और चीन के रिश्तों पर केंद्रित हो गई है। सभी देशों की निगाहें इस मुद्दे पर अगली चाल पर होंगी।