क्या भारत में कोई अहिंदू है? मोहन भागवत के बयान ने बढ़ाई बहस
मोहन भागवत का विवादास्पद बयान
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम में ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में नई बहस को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी व्यक्ति अहिंदू नहीं है, क्योंकि सभी लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और पूर्वजों के आधार पर हिंदू मूल से जुड़े हुए हैं। इस बयान को RSS की विचारधारा का विस्तार माना जा रहा है।
हर भारतीय का हिंदू सभ्यता से संबंध
भागवत ने यह भी कहा कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म का पालन करता हो, उसकी सांस्कृतिक जड़ें हिंदू सभ्यता से निकली हैं। उन्होंने यह दावा किया कि मुसलमान और ईसाई भी इसी सभ्यता का हिस्सा हैं, और उनके पूर्वज भी हिंदू थे। उनके अनुसार, अहिंदू जैसा कोई शब्द भारत की मिट्टी पर लागू नहीं होता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ शक्तियों ने मुस्लिमों और ईसाइयों को उनकी जड़ों से दूर करने की कोशिश की है, लेकिन सच्चाई यह है कि सभी भारतीय एक ही सांस्कृतिक आधार से जुड़े हैं।
RSS का उद्देश्य: सत्ता नहीं, समाज का संगठन
कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने यह स्पष्ट किया कि RSS का लक्ष्य कभी भी सत्ता प्राप्त करना नहीं रहा। उनका कहना था कि संघ का असली उद्देश्य समाज को एकजुट करना और भारत माता की प्रतिष्ठा को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि जब लाखों स्वयंसेवक एक साथ काम करते हैं, तो उनका मकसद राजनीतिक लाभ नहीं, बल्कि सामाजिक एकता होता है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले RSS के उद्देश्यों को लेकर संदेह था, लेकिन अब लोग संघ के कार्यों और भावनाओं को समझने लगे हैं। कार्यक्रम में RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
भारत की पहचान और संस्कृति
भागवत ने अपने भाषण में भारत के राष्ट्र बनने की ऐतिहासिक प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को राष्ट्र नहीं बनाया, बल्कि भारत प्राचीन काल से ही एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में है। उन्होंने यह भी कहा कि हर देश की एक संस्कृति होती है, और भारत की संस्कृति हिंदू है। उनके अनुसार, चाहे भारतीय खुद को किसी भी धर्म या पहचान से जोड़ लें, लेकिन उनकी मूल पहचान हिंदू संस्कृति से ही होती है।
भागवत ने यह भी कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है और संविधान भी इसका विरोध नहीं करता। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और भारत को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता और सनातन धर्म की उन्नति को ही भारत की उन्नति बताया।
हिंदू का अर्थ और जिम्मेदारी
भागवत ने हिंदू शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका धार्मिक संदर्भ से परे एक व्यापक सांस्कृतिक मतलब है। उनके अनुसार, हिंदू का अर्थ है भारत के प्रति जिम्मेदारी निभाने वाला नागरिक। यही कारण है कि भारत में किसी को भी अहिंदू नहीं कहा जा सकता।
भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में पहचान, धर्म और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लेकर चर्चाएं बढ़ रही हैं। उनके वक्तव्य को RSS के व्यापक वैचारिक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है, जो भारतीय समाज को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने की बात करता है।