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क्या मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म साइबर फ्रॉड पर लगेगा लगाम?

दूरसंचार विभाग एक नई मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म की शुरुआत करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी और पहचान की चोरी को रोकना है। यह प्लेटफॉर्म बैंक और फिनटेक कंपनियों को मोबाइल नंबर के वास्तविक स्वामित्व की पुष्टि करने में मदद करेगा। हालांकि, इस पहल का विरोध भी हो रहा है, क्योंकि प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स इसे यूजर्स की निजता में दखलंदाजी मानते हैं। जानें इस नई पहल के बारे में और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

मोबाइल नंबर वैलिडेशन की नई पहल

Mobile Number Validation: देश में बढ़ते साइबर धोखाधड़ी और पहचान की चोरी के मामलों को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) एक नई योजना पर काम कर रहा है। इस योजना के तहत, एक मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) प्लेटफॉर्म की स्थापना की जाएगी, जिससे बैंक और फिनटेक कंपनियां सीधे टेलीकॉम ऑपरेटरों से मोबाइल नंबर के वास्तविक स्वामित्व की पुष्टि कर सकेंगी।


फर्जी खातों पर नियंत्रण

यह कदम विशेष रूप से उन फर्जी या 'म्यूल अकाउंट्स' पर नियंत्रण लगाने के लिए उठाया जा रहा है, जिनका उपयोग साइबर अपराधी ठगी के बाद धन निकालने के लिए करते हैं। सूत्रों के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म वित्तीय लेन-देन को अधिक सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


संसदीय समिति का समर्थन

संसदीय समिति ने किया समर्थन

इस पहल को संसदीय स्थायी समिति (गृह मामलों) से भी समर्थन प्राप्त हुआ है। समिति ने AI-पावर्ड फेसियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर की पहचान को मजबूत करने की सिफारिश की है, ताकि सिम जारी करते समय पहचान संबंधी धोखाधड़ी को रोका जा सके।


साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन

साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का प्रस्ताव

वर्तमान में ऐसा कोई तंत्र नहीं है जो यह सुनिश्चित कर सके कि बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर वास्तव में उसी खाता धारक का है। नए सिस्टम के लागू होने के बाद, बैंक और फिनटेक कंपनियां सीधे टेलीकॉम कंपनियों से मोबाइल नंबर की पुष्टि कर सकेंगी। इसके लिए डॉट ने टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा है।


प्राइवेसी पर चिंताएं

प्राइवेसी को लेकर उठी चिंताएं

हालांकि, इस कदम का विरोध भी हो रहा है। प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का कहना है कि ये नियम जरूरत से ज्यादा दखलंदाजी कर सकते हैं और इससे यूजर्स की निजता खतरे में पड़ सकती है। फिर भी, संसदीय समिति ने इस सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है, साथ ही गोपनीयता की सुरक्षा के उपाय करने की भी सिफारिश की है।


निर्दोष यूजर्स पर प्रभाव

निर्दोष यूजर्स पर भी पड़ सकता है असर

विशेषज्ञों का मानना है कि इस सिस्टम से उन निर्दोष यूजर्स को परेशानी हो सकती है, जिनके बैंक अकाउंट से जुड़ा सिम उनके माता-पिता, भाई-बहन या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत है। हालांकि, इस स्थिति की स्पष्टता सिस्टम लागू होने के बाद ही सामने आएगी।