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क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025? जानें सुप्रिया सुले के प्रस्ताव की खास बातें

सुप्रिया सुले ने संसद में राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 पेश किया है, जो कर्मचारियों को ऑफिस के बाद काम से पूरी तरह डिस्कनेक्ट होने का कानूनी अधिकार देगा। यह बिल प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में लाया गया है और इसमें एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, महिलाओं के अधिकारों से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण बिल भी पेश किए गए हैं, जैसे मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल 2024। जानें इस बिल के अन्य पहलुओं और संसद में चल रही चर्चा के बारे में।
 

सुप्रिया सुले का महत्वपूर्ण प्रस्ताव


नई दिल्ली: शुक्रवार को, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश करते हुए राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 को प्रस्तुत किया। यह विधेयक उन बढ़ते तनावों को संबोधित करता है जो आधुनिक कार्य संस्कृति से जुड़े हैं, जहां कर्मचारियों से ऑफिस के घंटों के बाद भी कॉल और ईमेल का जवाब देने की अपेक्षा की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को छुट्टियों या निर्धारित कार्य समय के बाद पूरी तरह से काम से 'डिस्कनेक्ट' होने का कानूनी अधिकार प्रदान करना है।


प्राइवेट मेंबर बिल का महत्व

यह बिल एक प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में पेश किया गया है, जिसे संसद में किसी भी लोकसभा या राज्यसभा सदस्य द्वारा लाया जा सकता है। आमतौर पर, प्राइवेट मेंबर बिलों पर चर्चा होती है और सरकार की प्रतिक्रिया के बाद इन्हें वापस ले लिया जाता है, जिससे इनके कानून में बदलने की संभावना कम होती है। फिर भी, ये बिल महत्वपूर्ण मुद्दों को राष्ट्रीय चर्चा में लाने का एक बड़ा माध्यम होते हैं।


काम के बाद कॉल और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार

सुप्रिया सुले द्वारा प्रस्तुत इस बिल में एक एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है, जो कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करेगा और कंपनियों में संतुलित कार्य वातावरण सुनिश्चित करेगा। यदि यह बिल पारित होता है, तो कर्मचारी यह कह सकेंगे कि वे ऑफिस समय के बाहर किए गए कॉल या ईमेल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं।


महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान

संसद में महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिल भी पेश किए गए। कांग्रेस सांसद कडियाम काव्या ने मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल 2024 पेश किया, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कार्यस्थल पर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है। इसके अलावा, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की सांसद शंभवी चौधरी ने महिलाओं और छात्राओं के लिए पेड मेन्स्ट्रुअल लीव को कानूनी अधिकार बनाने का प्रस्ताव रखा है।


NEET से छूट का प्रस्ताव

कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने तमिलनाडु के लिए मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET से छूट का प्रस्ताव रखा है। राज्य लंबे समय से NEET का विरोध करता रहा है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है।


मृत्युदंड समाप्त करने का प्रस्ताव

डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने मृत्युदंड को समाप्त करने का बिल पेश किया है। हालांकि इस विषय पर पहले भी बहस हो चुकी है, केंद्र सरकारें इसे कठोर अपराधों के लिए आवश्यक मानती रही हैं।


पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून

निर्दलीय सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए पत्रकार (हिंसा रोकथाम एवं सुरक्षा) बिल 2024 प्रस्तुत किया है।