खालिदा जिया का निधन: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री का संघर्षपूर्ण जीवन
खालिदा जिया का निधन
बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया का आज सुबह निधन हो गया। 80 वर्ष की आयु में, वे पिछले 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। खालिदा का राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने हमेशा बांग्लादेश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता दी।
1971 में नजरबंदी का अनुभव
खालिदा जिया को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना ने जुलाई में नजरबंद कर दिया था। वे दिसंबर तक कैद में रहीं और 16 दिसंबर को पाकिस्तान की हार के बाद रिहा हुईं। उनके जीवन में कई बार राजनीतिक संघर्ष और हमले हुए, जैसे कि 2015 में ढाका में उनके काफिले पर हमले का प्रयास।
भारत के प्रति उनका रुख
प्रधानमंत्री के रूप में, खालिदा ने भारत को बांग्लादेश की भूमि से रास्ता देने का विरोध किया। उनका मानना था कि इससे बांग्लादेश की सुरक्षा को खतरा होगा। उन्होंने 1972 की 'भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि' का भी विरोध किया, यह कहते हुए कि यह बांग्लादेश को कमजोर बनाती है। खालिदा ने हमेशा कहा कि उनकी पार्टी बीएनपी बांग्लादेश को भारत के प्रभाव में नहीं आने देगी।
प्रधानमंत्री मोदी का श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खालिदा जिया के योगदान को याद करते हुए कहा कि बांग्लादेश के विकास और भारत-बांग्लादेश संबंधों में उनका महत्वपूर्ण योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने 2015 में ढाका में खालिदा के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया और उनकी सोच को साझेदारी का मार्गदर्शक बताया।
शेख हसीना का शोक संदेश
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि खालिदा ने लोकतंत्र की स्थापना के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।