खालिस्तानी रैली में पत्रकार पर हमला: सुरक्षा पर उठे सवाल
खालिस्तानी रैली में पत्रकार पर हमला
खोजी पत्रकार मोचा बेज़ीरगन ने आरोप लगाया है कि वैंकूवर में आयोजित एक खालिस्तानी रैली के दौरान उन्हें खालिस्तानी समर्थकों के एक समूह ने घेर लिया और धमकाया। इस घटना में उनका फोन भी छीन लिया गया। यह घटना रविवार को हुई, जिसने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।
"मैं अभी भी कांप रहा हूँ": बेज़ीरगन
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मोचा बेज़ीरगन, जो कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड में खालिस्तानी प्रदर्शनों को कवर करने के लिए जाने जाते हैं, ने एक समाचार एजेंसी को बताया, "यह घटना दो घंटे पहले हुई और मैं अभी भी कांप रहा हूँ।" उन्होंने कहा, "वे गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे थे - मुझे घेरकर, मेरा फोन छीनकर और रिकॉर्डिंग रोकने की कोशिश कर रहे थे।"
बेज़ीरगन ने बताया कि इस घटना का नेतृत्व एक व्यक्ति ने किया, जिसने पहले उन्हें ऑनलाइन परेशान किया था। उन्होंने कहा, "अचानक दो-तीन लोग मेरे सामने आ गए। मैंने अपने फोन पर बैकअप रिकॉर्डिंग शुरू की, तभी उनमें से एक ने मेरा फोन छीन लिया।" वैंकूवर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उस व्यक्ति को पीछे हटने का आदेश दिया। बेज़ीरगन ने बाद में पुलिस में बयान दर्ज कराया, लेकिन तत्काल कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
लगातार उत्पीड़न का शिकार
पत्रकार ने बताया कि उसी व्यक्ति ने उन्हें कई ब्लॉकों तक पीछा किया, यहाँ तक कि स्काईट्रेन प्लेटफॉर्म तक। "मेरे पास जाने का कोई रास्ता नहीं था। यह स्पष्ट रूप से डराने की कोशिश थी।" उन्होंने मांग की कि उस व्यक्ति, जो उनके अनुसार ब्रिटिश नागरिक है, को निर्वासित किया जाए।
पत्रकारों पर बढ़ते हमले
यह घटना खालिस्तानी उग्रवाद को कवर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमलों की श्रृंखला का हिस्सा है। अक्टूबर 2024 में, एक कनाडाई सांसद ने संसद में चेतावनी दी थी कि "खालिस्तानी उग्रवाद पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को बढ़ती हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।" उन्होंने अन्य पत्रकारों पर हमलों का उल्लेख किया और बताया कि बेज़ीरगन को पहले भी जान से मारने की धमकियाँ मिल चुकी हैं।
सुरक्षा की मांग
यह घटना पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाती है। बेज़ीरगन जैसे पत्रकार, जो संवेदनशील मुद्दों पर काम करते हैं, लगातार खतरे का सामना कर रहे हैं। इस घटना ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों की निगरानी और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है।