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गमाडा को 10 महीने की देरी पर 84 लाख लौटाने का आदेश

मोहाली में गमाडा द्वारा फ्लैट पजेशन में 10 महीने की देरी के मामले में उपभोक्ता आयोग ने 84 लाख रुपये लौटाने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता ने समय पर पजेशन न मिलने पर मानसिक पीड़ा और सेवा में कमी का हवाला देते हुए हर्जाना मांगा था। आयोग ने गमाडा की लापरवाही को गंभीरता से लिया और 12% वार्षिक ब्याज के साथ राशि लौटाने का निर्देश दिया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और गमाडा की प्रतिक्रिया।
 

गमाडा फ्लैट पजेशन में देरी का मामला

गमाडा को 10 महीने की देरी पर 84 लाख लौटाने का आदेश: मोहाली के सेक्टर-88 में पूरब प्रीमियम अपार्टमेंट्स में फ्लैट खरीदने वाले एक ग्राहक को पजेशन न देने के कारण गमाडा को 83.97 लाख रुपये वापस करने होंगे। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन ने 12% वार्षिक ब्याज के साथ इस राशि को 30 दिनों के भीतर लौटाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, मानसिक तनाव और सेवा में कमी के लिए 75,000 रुपये का हर्जाना और 35,000 रुपये मुकदमे के खर्च का भुगतान भी करना होगा।


गमाडा की लापरवाही पर उठे सवाल


शिकायतकर्ता ने अपने बच्चों के लिए अलग-अलग फ्लैट खरीदने की योजना बनाई थी ताकि भविष्य में संपत्ति विवाद से बचा जा सके। जून 2023 में गमाडा के लिए आवेदन किया गया था। शिकायतकर्ता ने टाइप-2 फ्लैट के लिए आवेदन किया और 5 मार्च 2024 को कुल कीमत का 25% यानी 83.97 लाख रुपये जमा कर दिए। नियमों के अनुसार, 30 दिनों के भीतर, यानी 5 अप्रैल 2024 तक, फ्लैट का पजेशन मिलना चाहिए था, लेकिन गमाडा ने समय पर पजेशन नहीं दिया।


शिकायतकर्ता ने 12 अप्रैल 2024 को पजेशन के लिए पत्र भेजा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद भी कई बार पत्र भेजे गए। 11 जून 2024 को आरटीआई दायर की गई, फिर भी कोई जानकारी नहीं दी गई। 25 जुलाई 2024 को फिर से पत्र भेजा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः 30 जनवरी 2025 को पजेशन लेटर भेजा गया।


147 दिन की देरी का मुद्दा


गमाडा ने अपने जवाब में कहा कि शिकायतकर्ता ने 147 दिन की देरी से भुगतान किया था। फिर भी, मुख्य प्रशासक ने नरमी दिखाई और अलॉटमेंट रद्द नहीं किया। गमाडा ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता खुद पजेशन लेने नहीं आया, जिससे देरी हुई।


गमाडा का जवाब न देना


आयोग ने रिकॉर्ड की जांच के बाद पाया कि शिकायतकर्ता ने 5 मार्च 2024 तक 25% राशि जमा कर दी थी। नियमों के अनुसार, इसके बाद 30 दिनों के भीतर पजेशन देना अनिवार्य था। शिकायतकर्ता ने 9 बार पत्र लिखे, लेकिन गमाडा ने कोई उत्तर नहीं दिया। आयोग ने माना कि पजेशन लेटर 10 महीने की देरी से दिया गया।


आयोग ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल कंज्यूमर कमीशन के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि समय पर पजेशन न देना सेवा में कमी और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है। ऐसे मामलों में उपभोक्ता को अपनी राशि वापस लेने का अधिकार है। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता को 83.97 लाख रुपये 12% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए जाएं। यदि यह राशि 30 दिनों में वापस नहीं की गई, तो 15% वार्षिक ब्याज लगेगा।