गाज़ा में इजराइल के हवाई हमलों से मची तबाही: बच्चों की मौत पर उठे सवाल
गाज़ा में इजराइल के हवाई हमलों का दर्दनाक मंजर
गाज़ा में हालिया इजराइली हवाई हमलों ने मानवता को एक बार फिर झकझोर दिया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इन हमलों में कम से कम 72 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे भयानक दृश्य दक्षिणी गाज़ा के खान यूनिस के पास मुवासी में देखने को मिला, जहां विस्थापितों के तंबू शिविरों पर हमला किया गया। एक ही परिवार के तीन छोटे बच्चे और उनके माता-पिता सोते समय बमबारी का शिकार बन गए।
दादी का दर्दनाक सवाल
मारे गए बच्चों की दादी, सुआद अबू तेइमा, ने इजराइल की कार्रवाई पर गहरा सवाल उठाया। उन्होंने आंसू भरी आंखों से पूछा, "इन बच्चों ने क्या गलत किया था? क्या यही न्याय है?" स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हमला रात के समय हुआ, जब लोग गहरी नींद में थे। इस हमले में कई तंबू पूरी तरह से जलकर राख हो गए।
स्टेडियम में छिपे विस्थापितों पर हमला
गाज़ा सिटी के फिलिस्तीन स्टेडियम के पास भी एक बड़ा हमला हुआ, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई। शिफा अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि यह स्टेडियम विस्थापितों के लिए शरण स्थल बना हुआ था। हमले के बाद कई शव अस्पताल लाए गए, जबकि 20 से अधिक मृतकों को नासिर अस्पताल भेजा गया।
सड़क पर गिरा इजराइली मिसाइल
शनिवार दोपहर गाज़ा सिटी की एक मुख्य सड़क पर इजराइली मिसाइल गिरी, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। उनके शवों को अल-अहली अस्पताल पहुंचाया गया, जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
ट्रंप का युद्धविराम का संकेत
इजराइल-हमास संघर्ष के बीच अमेरिका की ओर से एक महत्वपूर्ण बयान आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अगले हफ्ते के भीतर युद्धविराम समझौता संभव हो सकता है। ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "हम गाज़ा की स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और जल्द ही समाधान की उम्मीद है।"
इजराइली मंत्री की वाशिंगटन यात्रा
सूत्रों के अनुसार, इजराइल के सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डेरमर अगले सप्ताह वाशिंगटन पहुंचेंगे। वे अमेरिकी अधिकारियों के साथ संघर्ष विराम, ईरान और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा करेंगे। यह वार्ता युद्धविराम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
राहत की उम्मीद, लेकिन अनुत्तरित सवाल
युद्धविराम की उम्मीदें बढ़ रही हैं, लेकिन गाज़ा में मारे जा रहे बच्चों के सवाल अब भी अनुत्तरित हैं। क्या यह संघर्ष कभी समाप्त होगा? क्या बच्चों की लाशों पर शांति का सौदा किया जाएगा? फिलहाल गाज़ा की ज़मीन पर मातम और मलबा ही बचे हैं।