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गिलगित-बाल्टिस्तान में प्रदर्शन: स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा

गिलगित-बाल्टिस्तान में हजारों लोगों ने शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, कराकोरम हाईवे को तीन दिनों तक जाम रखा। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार की व्यापार नीतियों ने उनकी आजीविका को खतरे में डाल दिया है। सोस्त ड्राई पोर्ट पर रुके माल के कारण व्यापारियों में गुस्सा है। जानें इस आंदोलन की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
 

गिलगित-बाल्टिस्तान में प्रदर्शन का आगाज़

गिलगित-बाल्टिस्तान में हजारों लोगों का गुस्सा सड़कों पर देखने को मिला है। स्थानीय नागरिक शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कराकोरम हाईवे को तीन दिनों तक बंद रखा। यह हाईवे पाकिस्तान और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है। प्रदर्शनकारी सरकार की व्यापार नीतियों को 'शोषणकारी' मानते हैं और इसे अपनी आजीविका पर हमला समझते हैं।


प्रदर्शन का विस्तार

गिलगित-बाल्टिस्तान के गुलमट नगर में शुरू हुआ यह प्रदर्शन रविवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और कराकोरम हाईवे को पूरी तरह से बंद कर दिया, जिससे इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। इस जाम के कारण सैकड़ों यात्री और पर्यटक फंस गए, और सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। प्रदर्शनकारी तब तक सड़क को बंद रखने की बात कर रहे हैं जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।


सोस्त ड्राई पोर्ट पर माल फंसा

सोस्त ड्राई पोर्ट पर माल अटका, व्यापारियों में गुस्सा

प्रदर्शन का मुख्य कारण सोस्त ड्राई पोर्ट पर पिछले छह महीनों से रुकी हुई 257 से अधिक माल की खेप है। व्यापारियों का कहना है कि दिसंबर 2024 से कस्टम क्लीयरेंस रुका हुआ है, जिससे उनका सामान खराब हो रहा है और उन्हें रोजाना पोर्ट शुल्क के साथ भारी नुकसान हो रहा है। व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि एक बार की छूट देकर उनके सामान को तुरंत क्लीयर किया जाए। उनका कहना है कि सरकार की नीतियों ने उनकी आजीविका को बर्बाद कर दिया है.


स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट

स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट

प्रदर्शन में गिलगित, हूंजा और आसपास के क्षेत्रों के व्यापारी, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने बताया कि गिलगित-बाल्टिस्तान में उद्योग या निजी क्षेत्र में नौकरियों का अभाव है, और चीन के साथ व्यापार ही स्थानीय लोगों की आय का मुख्य स्रोत है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तान की फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) और कस्टम विभाग की नीतियों ने ट्रांसपोर्टरों, दुकानदारों, मजदूरों, होटल मालिकों और छोटे व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया है।


प्रशासन और सरकार पर सवाल

प्रशासन और सरकार पर सवाल

प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान कस्टम और गिलगित-बाल्टिस्तान प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। स्थानीय नेता और शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल(एन) के पूर्व विधायक जावेद हुसैन ने सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग सभी टैक्स दे रहे हैं, फिर भी उनका माल क्लीयर नहीं हो रहा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आतंकवादियों को माफी दे सकती है, लेकिन व्यापारियों की छोटी सी मांग को अनसुना कर रही है।


पिछले विरोध प्रदर्शन

पहले भी हो चुके हैं विरोध प्रदर्शन

यह पहली बार नहीं है जब गिलगित-बाल्टिस्तान में लोग सड़कों पर उतरे हैं। पिछले महीने भी यहां जमीन और खनिजों की लूटपाट और बिजली कटौती के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए थे। लोग इसे अपनी जमीन पर 'अवैध कब्जे' का विरोध बता रहे थे और नारे लगा रहे थे, 'कब्जे पर कब्जा नामंजूर।' अक्टूबर 2023 में स्कर्दू में लोगों ने भारत के साथ कारगिल रोड खोलने की मांग की थी, ताकि सामान की कमी और महंगाई से निजात मिल सके.