गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा, हार्वर्ड में लौटेंगी
गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा
गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा: भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ, जो वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, अगस्त में अपने पद से इस्तीफा देने की योजना बना रही हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि वे सितंबर से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में लौटेंगी।
IMF में गीता की भूमिका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोपीनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा, "IMF में लगभग 7 अद्भुत वर्षों के बाद, मैंने अपनी अकादमिक जड़ों में लौटने का निर्णय लिया है।" वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स विभाग में 'Gregory and Ania Coffey Professor of Economics' के रूप में शामिल होंगी।
IMF की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री
गोपीनाथ ने 2019 में IMF की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में कार्यभार संभाला और 2022 में उन्हें संस्था का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे IMF के मिशन के प्रति हमेशा समर्पित रहीं।
आर्थिक नीतियों में योगदान
गोपीनाथ की IMF में भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कोविड-19 महामारी, वैश्विक मंदी, बढ़ते ऋण संकट और व्यापार असंतुलन जैसे कठिन समय में वैश्विक आर्थिक नीतियों के लिए मार्गदर्शन किया। कोविड काल के दौरान उनकी भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया।
जटिल मुद्दों पर नेतृत्व
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा, "गीता ने IMF के सदस्य देशों के लिए कई जटिल मुद्दों पर नेतृत्व प्रदान किया और G-7 व G-20 जैसे मंचों पर संगठन का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया।" उन्होंने 'Pandemic Plan' जैसी योजनाओं को सह-लेखित किया, जो वैश्विक टीकाकरण रणनीति के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
शिक्षा और अनुसंधान में वापसी
गोपीनाथ ने कहा कि वे अब शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में लौट रही हैं, जहां वे अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकोनॉमिक्स में अनुसंधान जारी रखेंगी और भविष्य के अर्थशास्त्रियों को प्रशिक्षित करेंगी।
अकादमिक पृष्ठभूमि
IMF से पहले, गीता हार्वर्ड विश्वविद्यालय में John Zwaanstra Professor of International Studies and Economics थीं और इससे पहले University of Chicago में सहायक प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनकी विदाई से IMF में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन वैश्विक अर्थनीति में उनका योगदान भविष्य में भी बना रहेगा।