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गुजरात के जीरा गांव के किसानों का कर्ज चुकाने वाले बाबूभाई का प्रेरणादायक कदम

गुजरात के अमरेली जिले के जीरा गांव में, हीरा व्यापारी बाबूभाई चोडवाडिया ने 300 किसानों का 89 लाख रुपये का कर्ज चुकाकर उन्हें नई जिंदगी दी है। यह कर्ज 30 वर्षों से बकाया था, जो गांव की सेवा सहकारी मंडली के बंद होने के बाद लिया गया था। बाबूभाई ने अपनी मां की पुण्यतिथि पर यह कदम उठाया, जिससे किसानों ने उन्हें भगवान का रूप बताया। जानें इस प्रेरणादायक कहानी के बारे में और कैसे यह कदम अन्य उद्योगपतियों के लिए प्रेरणा बन सकता है।
 

अमरेली में किसानों का कर्ज समाप्त


अमरेली: गुजरात के अमरेली जिले के जीरा गांव में पिछले तीन दशकों से किसानों पर कर्ज का बोझ अब समाप्त हो गया है। गांव के निवासी और सूरत के प्रसिद्ध हीरा व्यापारी बाबूभाई चोडवाडिया, जिन्हें जीरावाला के नाम से जाना जाता है, ने 300 किसानों का लगभग 89 लाख रुपये का कर्ज चुकाया। यह कर्ज 1995 से गांव की सेवा सहकारी मंडली के बंद होने के बाद बकाया था।


कर्ज का कारण और बाबूभाई का प्रेरणादायक कदम

दरअसल, 30 साल पहले जीरा गांव की सेवा सहकारी मंडली बंद हो गई थी, जिसके बाद किसानों के नाम पर फर्जी ऋण लिया गया था। इस कारण लगभग 300 किसान वर्षों तक बैंकों से नए ऋण नहीं ले पाए। कई किसानों की जिंदगी इसी कर्ज के कारण रुक गई थी। बाबूभाई ने अपनी मां की पुण्यतिथि पर उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए यह प्रेरणादायक कदम उठाया। उनकी मां हमेशा चाहती थीं कि संपत्ति का उपयोग लोगों की भलाई के लिए किया जाए।


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किसानों को मिली राहत

कर्जमुक्त करने के लिए कितने रुपये दिए?


बाबूभाई ने 89 लाख रुपये दान कर सभी किसानों को 'कर्जमुक्त' बना दिया। इस राशि से बैंक ने किसानों के नाम से दर्ज कर्ज समाप्त किया और उन्हें 'अदेयता प्रमाण पत्र' जारी किए। अमरेली सांसद भरत सुतारिया, सावरकुंडला-लिलिया विधायक महेश कसवाला और बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में किसानों को प्रमाण पत्र सौंपे गए।


किसानों की भावनाएं

किसानों ने भावुक होकर क्या कहा?


किसानों ने भावुक होकर बाबूभाई को भगवान का रूप बताया। किसान नाथाभाई शिरोया और महेशभाई दुधात ने कहा कि 30 सालों में उनके बाल सफेद हो गए, लेकिन कर्ज का बोझ खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि आज उन्हें नई जिंदगी मिली है। गांव की सरपंच दक्षाबेन चोडवाडिया ने कहा कि बाबूभाई ने ₹89 लाख का कर्ज चुका कर उनके ससुर का अधूरा सपना पूरा किया है।


बाबूभाई की मां की इच्छा

क्या थी उनकी मां की इच्छा?


बाबूभाई ने कहा कि उन्होंने अपनी मां की इच्छा पूरी की है और उम्मीद जताई कि अन्य उद्योगपति भी किसानों की मदद के लिए आगे आएंगे। सांसद भरत सुतारिया ने इस कदम को पूरे गुजरात के लिए प्रेरणा बताया। इस पहल से अब जीरा गांव के किसानों के 7-12 राजस्व रिकॉर्ड से बकाया हट गया है और वे नई फसल ऋण योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।