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गुजरात में कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि, हर दिन 700 से अधिक मामले

गुजरात में कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे हर दिन 700 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डाल रही है, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। हाल की घटनाओं में कई बच्चों और वयस्कों को कुत्तों द्वारा काटा गया है, जिससे रेबीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टरों की सलाह है कि किसी भी जानवर के काटने पर तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन लेना आवश्यक है।
 

कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाएं

भारत में कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, और अब गुजरात इस समस्या से प्रभावित शीर्ष 5 राज्यों में शामिल हो गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल राज्य में औसतन 2.41 लाख कुत्ते के काटने के मामले सामने आते हैं, जिसका मतलब है कि प्रतिदिन लगभग 700 नए मामले दर्ज हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डाल रही है, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।


हाल की घटनाएं

हाल के कुछ मामलों में, 8 अगस्त को वड़ोदरा के दभोई में तीन घंटे के भीतर 30 से अधिक लोगों को कुत्ते ने काटा। 6 अगस्त को अमरेली में एक दो साल का बच्चा कुत्ते द्वारा जबड़े में दबोच लिया गया, जिसे उसके पिता ने बड़ी मुश्किल से बचाया। 4 अगस्त को छोटा उदेपुर में एक तीन साल के बच्चे की कुत्ते के काटने से मौत हो गई।


रेबीज से मौतें

5 जून को मेहसाणा में 44 वर्षीय महिला की रेबीज के कारण मृत्यु हो गई। 13 मई को अहमदाबाद के हाथीजन में एक पालतू कुत्ते ने चार महीने के बच्चे को काटकर मार डाला। ऐसे कई मामले हैं जो अब भय का कारण बन चुके हैं।


अहमदाबाद में एनिमल बाइट के मामले

अहमदाबाद के असारवा सिविल अस्पताल में 2023 से मई 2025 के बीच कुल 29,206 एनिमल बाइट के मामले दर्ज किए गए हैं। इसका मतलब है कि प्रतिदिन लगभग 33 मरीज इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. राकेश जोशी के अनुसार, इन मामलों में से लगभग 95% कुत्तों के काटने से संबंधित हैं।


रेबीज का खतरा

कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों और चमगादड़ों के काटने से रेबीज वायरस शरीर में प्रवेश करता है। यह वायरस संक्रमित जानवर की लार से फैलता है और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। डॉक्टरों के अनुसार, यह वायरस शरीर में घुसने के बाद 3 से 12 हफ्तों के भीतर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी तक पहुंच सकता है।


डॉक्टरों की सलाह

डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी जानवर के काटने की स्थिति में तुरंत फर्स्ट एड के साथ एंटी-रेबीज वैक्सीन लेना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की देरी जानलेवा हो सकती है। कुत्तों के काटने की घटनाएं अब केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रह गई हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है।


कुत्तों की नसबंदी

पिछले एक साल में नगर निगम ने 30,000 से अधिक कुत्तों की नसबंदी पर ढाई करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, अहमदाबाद में 2 लाख से अधिक आवारा कुत्ते हैं। इसके बावजूद, कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।