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गुजरात में बाल श्रम के खिलाफ सख्त कार्रवाई: 616 बच्चों को मुक्त कराया गया

गुजरात सरकार ने बाल श्रम के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए पिछले पांच वर्षों में 616 बच्चों को मुक्त कराया है। श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा की गई छापेमारी में लाखों रुपये का जुर्माना वसूला गया है। भारतीय संविधान के तहत खतरनाक उद्योगों में बच्चों से काम कराना अवैध है। इस लेख में जानें कि कैसे बच्चों का पुनर्वास किया जाता है और विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस पर इस वर्ष की थीम क्या है।
 

गुजरात में बाल श्रम के खिलाफ सख्त कदम

गुजरात समाचार: गुजरात सरकार ने बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिबंध और विनियमन) कानून के तहत पिछले पांच वर्षों में बाल श्रम के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। श्रम आयुक्त कार्यालय ने राज्यभर में 4,824 छापेमारी की, जिसमें 455 बाल श्रमिक और 161 किशोर श्रमिक सहित कुल 616 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त किया गया। बाल श्रमिकों को काम पर रखने वाले दोषियों से 72.88 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है। इसके अलावा, बाल श्रम कानून के उल्लंघन के मामलों में 791 आपराधिक केस और 339 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।


बच्चों से मजदूरी कराना है अवैध

खतरनाक उद्योगों में बच्चों का काम करना प्रतिबंधित


भारतीय संविधान की धारा 23 के तहत खतरनाक उद्योगों में बच्चों से काम कराना पूरी तरह से निषिद्ध है। 1986 में लागू बाल श्रम (प्रतिबंध और विनियमन) अधिनियम के अनुसार, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के काम में लगाना अवैध है। 14 से 18 वर्ष के किशोरों को केवल गैर-खतरनाक कार्यों में नियमानुसार रखा जा सकता है। गुजरात सरकार ने इस कानून में संशोधन करते हुए उल्लंघन करने वालों के लिए 6 महीने से 2 साल तक की जेल या 20,000 से 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया है। पुनरावृत्ति पर सजा 1 से 3 साल तक बढ़ाई जा सकती है।


मुक्त बच्चों का पुनर्वास

जांच के बाद माता-पिता को सौंपा गया


मुक्त कराए गए बच्चों को चिल्ड्रन होम में आश्रय दिया जाता है और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) द्वारा जांच के बाद उन्हें उनके माता-पिता को सौंपा जाता है। गैर-गुजराती बच्चों को उनके राज्य की सीडब्ल्यूसी के माध्यम से सुरक्षित रूप से उनके परिवार को लौटाया जाता है। जरूरतमंद परिवारों को सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता और पुनर्वास का लाभ भी दिया जाता है।


विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस

हर साल 12 जून को ‘विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “सुरक्षित और स्वस्थ पीढ़ी” रखी गई है, जिसका उद्देश्य युवा श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य में सुधार करना और बाल श्रम का पूरी तरह से अंत करना है। राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई और पुनर्वास के प्रयासों से बाल श्रम के खिलाफ एक मजबूत संदेश गया है और बच्चों के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।