गुजरात हाईकोर्ट ने यूसुफ पठान को अवैध कब्जे के मामले में फटकार लगाई
यूसुफ पठान का विवादित मामला
यूसुफ पठान: गुजरात हाईकोर्ट ने वडोदरा में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान को कड़ी चेतावनी दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी सेलीब्रिटी का होना यह नहीं दर्शाता कि वे कानून से ऊपर हैं। कोर्ट ने यूसुफ को विवादित भूमि को खाली करने का निर्देश दिया और कहा कि मशहूर व्यक्तियों को विशेष छूट देना गलत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह विवाद 2012 से शुरू हुआ, जब वडोदरा नगर निगम (VMC) ने यूसुफ पठान को सरकारी भूमि खाली करने के लिए नोटिस जारी किया। यह भूमि वडोदरा के तांदलजा क्षेत्र में उनके बंगले के निकट स्थित है। यूसुफ ने इस नोटिस को चुनौती दी और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हालांकि, अदालत ने पाया कि यूसुफ ने इस भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस मोना भट्ट की एकल पीठ ने पिछले महीने इस मामले में निर्णय सुनाया। अदालत ने यूसुफ की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भूमि पर कब्जा बनाए रखने की मांग की थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि सेलीब्रिटीज को कानून तोड़ने की अनुमति देना समाज में गलत संदेश फैलाता है।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा, "यूसुफ पठान एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि और सार्वजनिक व्यक्ति हैं। उनकी जिम्मेदारी कानून का पालन करने की और भी अधिक है। सेलीब्रिटीज का समाज पर गहरा प्रभाव होता है। यदि उन्हें कानून तोड़ने की अनुमति दी जाती है, तो यह जनता के बीच न्याय व्यवस्था में विश्वास को कमजोर करेगा।"
यूसुफ की दलील
यूसुफ की दलील
यूसुफ पठान ने अपनी याचिका में कहा था कि वह और उनके भाई, पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान, दोनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं। उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस भूमि को खरीदने की अनुमति मांगी थी। यूसुफ ने राज्य के मुख्यमंत्री से भी इस भूमि को उनके नाम आवंटित करने की अपील की थी। वडोदरा नगर निगम ने उनकी इस मांग को राज्य सरकार के पास भेजा, लेकिन 2014 में सरकार ने इसे खारिज कर दिया। इसके बावजूद यूसुफ ने भूमि पर कब्जा बनाए रखा, जिसके बाद यह मामला अदालत तक पहुंचा।