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गुरुग्राम दहेज मामले में पति ने झूठे आरोपों के लिए ₹1.80 करोड़ का मुआवजा मांगा

गुरुग्राम में एक ब्रिटिश नागरिक, गुरशरण लाल अवस्थी, ने अपनी पत्नी पर झूठे दहेज आरोपों के लिए ₹1.80 करोड़ का मुआवजा मांगा है। उन्होंने अदालत में याचिका दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस मामले में उन्हें मानसिक और आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। जानें कैसे उन्होंने इस कठिनाई का सामना किया और किस प्रकार एक NGO ने उनकी मदद की।
 

गुरुग्राम दहेज केस: पति ने झूठे आरोपों के लिए मुआवजे की मांग की

गुरुग्राम दहेज मामले में: पति ने झूठे दहेज आरोपों के लिए ₹1.80 करोड़ की मांग की, अदालत ने याचिका स्वीकार की: ब्रिटिश नागरिक गुरशरण लाल अवस्थी ने अपनी पत्नी के खिलाफ झूठे दहेज मामले में मुआवजे के रूप में ₹1.80 करोड़ की मांग की है। उन्होंने बताया कि उन्हें दो बार अदालत से राहत मिली है, फिर भी उन्हें मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है।


गुरशरण ने याचिका दायर की, जिसे सिविल जज मनीष कुमार की अदालत ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, पत्नी ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। लेकिन अदालत ने इस दलील को याचिका खारिज करने का पर्याप्त आधार नहीं माना।


झूठे आरोपों से प्रभावित जीवन, कोर्ट में बिताई रातें


गुरशरण ने बताया कि उनकी शादी 2008 में हुई थी और 2009 में उनकी पत्नी ने उन पर दहेज का मामला दर्ज कराया। जब तक वे लंदन से गुड़गांव पहुंचे, तब तक उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। उन्हें 40 दिन जेल में बिताने पड़े और पुलिस रिमांड में भी प्रताड़ित किया गया। ब्रिटिश एंबेसी के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें राहत मिली।


इस मामले के कारण उन्हें लंदन का कारोबार छोड़कर गुड़गांव में रहना पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कोर्ट परिसर में रातें बितानी पड़ीं। एक चाय वाले ने उनकी मदद की और उन्हें अपने घर ले गया। इस दौरान उनकी बचत खत्म हो गई और उनके पिता का निधन भी इसी सदमे में हुआ।


ब्रिटेन में तलाक, NGO ने दी मदद


गुरशरण ने ब्रिटेन में तलाक की याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने बताया कि नोटिस पत्नी को आर्मी के साथियों के जरिए भेजा गया, लेकिन वह अदालत में उपस्थित नहीं हुई। इसके बाद उन्हें तलाक मिल गया।


इस मामले में एक NGO की संस्थापक दीपिका नारायण भारद्वाज ने गुरशरण की मदद की। उन्होंने कहा कि ऐसे कई पुरुष हैं जो झूठे मामलों में फंस जाते हैं और न्याय के लिए संघर्ष करते हैं। गुरशरण का मामला उन सभी के लिए एक उदाहरण बन सकता है।