ग्रेटर नोएडा में 14 बिल्डरों पर NGT की कार्रवाई, भूजल के अवैध दोहन का मामला
ग्रेटर नोएडा में भूजल का अवैध दोहन
ग्रेटर नोएडा समाचार: ग्रेटर नोएडा में निर्माण कार्यों में भूजल के अवैध दोहन के मामले में बिल्डरों को अब गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में चल रही सुनवाई में 14 बिल्डर प्रबंधन यह स्पष्ट नहीं कर पाए हैं कि उन्होंने निर्माण कार्यों के लिए पानी का स्रोत क्या था। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
पानी का स्रोत क्या है?
पानी का स्रोत: एनजीटी ने सभी बिल्डरों से यह सवाल किया है कि यदि भूजल का दोहन नहीं किया गया, तो निर्माण में उपयोग किया गया पानी कहां से आया। अब तक केवल 8 परियोजनाओं ने जवाब प्रस्तुत किया है, जबकि अन्य बिल्डर चुप्पी साधे हुए हैं।
याचिका का विवरण
याचिका दायर करने वाले: पर्यावरणविद प्रदीप डाहलिया और प्रसून पंत ने याचिका में आरोप लगाया था कि ग्रेटर नोएडा में कई बिल्डर नियमों का उल्लंघन करते हुए भूजल का अवैध दोहन कर रहे हैं। निर्माण में भूजल का उपयोग प्रतिबंधित है, और आरोप है कि इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
एनजीटी की कार्रवाई
नोटिस जारी: एनजीटी ने इस मामले में 22 बिल्डर परियोजनाओं को नोटिस भेजा और उनसे पानी के स्रोत की जानकारी मांगी। एनजीटी पहले भी इस मामले में सख्त रुख अपना चुका है। जिन बिल्डरों ने जवाब नहीं दिया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
जवाब देने वाले बिल्डर
जवाब दाखिल करने वाले: पैरामाउंट इमोशन्स, ट्राइडेंट एम्बेसी, निराला एस्टेट, एटीएस होमक्राफ्ट नोबिलिटी हैप्पी ट्रेल्स, एटीएस कबाना हाई, एटीएस डोल्से, इरोस सम्पूर्णम, और अमात्रा होम्स ने जवाब प्रस्तुत किया है। 14 बिल्डर ऐसे हैं जिनका एनजीटी को अभी भी जवाब का इंतजार है।
अगली सुनवाई
अगली सुनवाई की तिथि: एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी, और सभी बिल्डर प्रबंधन को अपने जवाब दाखिल करने होंगे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो सख्त आदेश और दंडात्मक कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।