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ग्लोबल सिख काउंसिल की वार्षिक सभा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

ग्लोबल सिख काउंसिल ने अपनी वार्षिक आम सभा में सिख पंथ से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस बैठक में तख्तों की स्वतंत्रता, भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट की स्थापना, विरासत स्थलों का संरक्षण और पंजाब में बाढ़ के संकट में सहयोग जैसे विषयों पर विचार किया गया। काउंसिल ने सिख समुदाय से अपील की कि वे राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लें।
 

ग्लोबल सिख काउंसिल की वार्षिक आम सभा

ग्लोबल सिख काउंसिल: 28 देशों की सिख संस्थाओं की प्रतिनिधि संस्था ने ऑनलाइन वार्षिक आम सभा का आयोजन किया, जिसमें सिख समुदाय से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। इस बैठक में धार्मिक स्थलों की गरिमा को बहाल करने और मानवता के संकटों में सहायता के लिए कई ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया गया। काउंसिल की अध्यक्ष डॉ. कंवलजीत कौर की अगुवाई में इस सत्र ने तख्तों की प्रभुसत्ता को मजबूत करने और सेवा व पारदर्शिता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।


तख्तों की स्वतंत्रता का समर्थन

बैठक में लिए गए निर्णय: जी.एस.सी. ने श्री हजूर साहिब (महाराष्ट्र) और श्री पटना साहिब (बिहार) तख्तों को राज्य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त कराने के प्रयासों का समर्थन करने का निर्णय लिया। धार्मिक मामलों की समिति के अध्यक्ष डॉ. करमिंदर सिंह ने तख्तों की स्वतंत्रता और आध्यात्मिक अधिकारों की बहाली की वकालत की। उन्होंने राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त धार्मिक व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया और पंथक एकता को इसका समाधान बताया।


भारत में जी.एस.सी. ट्रस्ट की स्थापना

पंजीकृत ट्रस्ट की स्थापना: काउंसिल ने भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट स्थापित करने का निर्णय लिया, जिससे सेवाएं पारदर्शी तरीके से संचालित की जा सकेंगी। यह ट्रस्ट एफ.सी.आर.ए. प्रमाणन के तहत विदेशी अंशदान स्वीकार कर मानवतावादी और सामुदायिक कार्यों में लगाएगा। प्रधान डॉ. कंवलजीत कौर और सचिव हरजीत सिंह ने कहा कि यह कदम सिख समुदाय के संसाधनों को बेहतर तरीके से जोड़ने और जरूरतमंदों तक पहुंचाने में सहायक होगा।


विरासत स्थलों का संरक्षण

विरासत समिति की रिपोर्ट: विरासत समिति के अध्यक्ष यसपाल सिंह बैस ने पाकिस्तान में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों और विरासती स्थलों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड और पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग के सहयोग से कई स्थलों पर सुधार कार्य चल रहे हैं। हालांकि, उपेक्षित स्थलों को बचाने के लिए निरंतर निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विरासत का संरक्षण केवल धार्मिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है।


मानवतावादी संकट में सहयोग

बाढ़ की स्थिति पर चिंता: खजांची हरसरन सिंह ने पंजाब में आई बाढ़ के कारणों पर चिंता व्यक्त की और फिरोजपुर व फाजिल्का जिलों में प्रभावित किसानों और सीमावर्ती निवासियों की कठिनाइयों का उल्लेख किया। बैठक की शुरुआत बाढ़ पीड़ितों की भलाई के लिए अरदास से हुई। काउंसिल ने विश्वभर की सिख संस्थाओं से अपील की कि वे राहत कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान दें।