चंडीगढ़ पर केंद्रीय प्रस्ताव: पंजाब में राजनीतिक हलचल तेज
केंद्रीय गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली: पंजाब में चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत लाने की खबरों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। मंत्रालय ने कहा कि चंडीगढ़ के लिए केंद्रीय कानून बनाने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है, लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह प्रतिक्रिया तब आई जब पंजाब में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी और विरोध प्रदर्शन बढ़ने लगे थे।
प्रस्ताव के संभावित प्रावधान
संसद में जारी एक बुलेटिन के अनुसार, संविधान (131वां संशोधन) विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ को उन केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल करना है, जहां राष्ट्रपति सीधे नियम और कानून बना सकते हैं। इसमें अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव जैसे केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
जैसे ही यह जानकारी सामने आई, पंजाब में राजनीतिक दलों ने इसे राज्य के अधिकारों पर हमला बताते हुए विरोध शुरू कर दिया। कई दलों का कहना है कि यह कदम चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक दावे को कमजोर करने की कोशिश है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस प्रस्ताव को अन्यायपूर्ण बताया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पंजाब से छीनने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ हमेशा पंजाब का हिस्सा रहेगा और उनकी सरकार इस विधेयक को पारित होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। मान ने कहा कि विभाजन के समय से पंजाब को उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
केजरीवाल का बयान
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब ने दशकों तक देश की सुरक्षा और खाद्य आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब उसे उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। केजरीवाल ने दोहराया कि चंडीगढ़ हमेशा पंजाब का हिस्सा रहेगा।
कांग्रेस और अकाली दल का विरोध
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस प्रस्ताव को अनुचित बताया और कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोशिश के गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने विपक्षी दलों को एकजुट होकर संसद में विधेयक का विरोध करने का आह्वान किया।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसे पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र ने 1970 में चंडीगढ़ को पंजाब को देने पर सहमति जताई थी।
पंजाब भाजपा का रुख
दिलचस्प बात यह है कि पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी चंडीगढ़ को पंजाब का अभिन्न हिस्सा बताया और कहा कि पार्टी राज्य के हितों के साथ खड़ी है। जाखड़ ने कहा कि केंद्र और पंजाब के बीच किसी भी भ्रम को संवाद के माध्यम से दूर किया जाएगा।
वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था
चंडीगढ़ का प्रशासन वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल द्वारा संचालित किया जाता है। 1984 से पहले यहां एक अलग प्रशासक तैनात किया जाता था, लेकिन राजनीतिक विरोध के कारण यह व्यवस्था लंबे समय से नहीं चल रही है।