×

चंडीगढ़ में टीचर्स के लिए टेट परीक्षा अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के लगभग 2400 शिक्षकों के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टेट) को अनिवार्य कर दिया है, जिससे शिक्षकों में असंतोष फैल गया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों की नौकरी में 5 साल से अधिक का समय बचा है, उन्हें टेट पास करना होगा। यह निर्णय शिक्षकों के लिए नई चुनौतियाँ लेकर आया है, और चंडीगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे की कहानी और शिक्षकों की प्रतिक्रिया।
 

सुप्रीम कोर्ट का नया नियम

चंडीगढ़ TET अनिवार्य, (चंडीगढ़) : सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के लिए एक नया नियम लागू किया है, जिससे चंडीगढ़ के लगभग 2400 शिक्षकों की स्थिति संकट में आ गई है। कोर्ट ने 1 सितंबर को यह आदेश दिया कि सभी शिक्षकों को अपनी नौकरी बनाए रखने या पदोन्नति प्राप्त करने के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टेट) उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की नौकरी में 5 साल से अधिक का समय बचा है, उन्हें टेट पास करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह नियम माइनॉरिटी संस्थानों पर लागू होगा या नहीं, इसका निर्णय एक बड़ी बेंच करेगी।


चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन

चंडीगढ़ में विरोध की लहर

इस निर्णय से देशभर के शिक्षकों में असंतोष फैल गया है, और चंडीगढ़ में भी हलचल मची हुई है। यहां के लगभग 2400 नियमित और संविदा शिक्षक इस आदेश से प्रभावित हो सकते हैं। चंडीगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के कानूनी सलाहकार अरविंद राणा ने बताया कि 2015 में जेबीटी और टीजीटी के 1000 पदों, 2024 में 600 पदों, और समग्र शिक्षा के तहत 2010, 2013, 2019, 2023 में 700 पदों पर भर्ती हुए शिक्षकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। लेकिन इससे पहले भर्ती हुए शिक्षकों को प्रभावित किया जाएगा। शिक्षकों का कहना है कि 24-25 साल की सेवा के बाद अब टेट पास करने का नियम उचित नहीं है। वे इसके खिलाफ केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय और एनसीटीई को पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं।


टीट परीक्षा का महत्व

क्या है टेट एग्जाम?

टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टेट) एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जो यह निर्धारित करती है कि कोई व्यक्ति कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए योग्य है या नहीं। इसे 2010 में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा अनिवार्य किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय तमिलनाडु और महाराष्ट्र की याचिकाओं पर आधारित है। शिक्षकों का कहना है कि एनसीटीई की 2010 और 2011 की अधिसूचनाओं में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि 2001 और 2002 के नियमों के तहत भर्ती हुए शिक्षकों पर टेट अनिवार्य नहीं है। फिर भी, कोर्ट ने इसे नजरअंदाज किया।


मामले का संक्षिप्त विवरण

क्या है पूरा मामला?

राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट, 2009 के तहत एनसीटीई ने 2010 में टेट को अनिवार्य किया था। शिक्षकों को टेट पास करने के लिए 5 साल का समय दिया गया था, जिसे बाद में 4 साल और बढ़ाया गया। मद्रास हाईकोर्ट ने जून 2025 में कहा था कि 2011 से पहले भर्ती हुए शिक्षकों को नौकरी में बने रहने के लिए टेट पास करना आवश्यक नहीं है, लेकिन प्रमोशन के लिए यह जरूरी होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी और प्रमोशन दोनों के लिए टेट को अनिवार्य कर दिया है। चंडीगढ़ के डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़ ने कहा कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर उसका पालन किया जाएगा।