चंडीगढ़ में ब्रह्मलीन श्री सतगुरु देव जी की 38वीं पुण्यतिथि पर धार्मिक समारोह का आयोजन
धार्मिक समारोह का शुभारंभ
- शरीर का परम धर्म प्रभु की कथा श्रवण और सत्संग करना ही है: आचार्य श्री हरि जी
(चंडीगढ़) चंडीगढ़। ब्रह्मलीन श्री सतगुरू देव श्री श्री 108 श्री मुनि गौरवानंद गिरि जी महाराज की 38वीं पुण्यतिथि के अवसर पर तीन दिवसीय धार्मिक समारोह का आयोजन श्री महावीर मंदिर मुनि सभा (साधू आश्रम), सेक्टर 23 में श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया। इस समारोह की शुरुआत सुबह ब्रह्मलीन श्री सतगुरू देव जी का विधिपूर्वक पूजन करके की गई।
संत महिमा पर प्रवचन
इसके बाद, शहर की विभिन्न संकीर्तन मंडलियों ने कीर्तन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सभा के प्रमुख दिलीप चंद गुप्ता, महासचिव एसआर कश्यप, सांस्कृतिक सचिव पं. श्री दीप भारद्वाज, उपप्रधान ओ.पी पाहवा, कार्यालय सचिव नंदलाल शर्मा, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र गुप्ता, संयुक्त सचिव जगदीश सरीन, ऑडिटर नरेश कुमार महाजन और अन्य उपस्थित थे।
संतों का संग और पुण्य
पहले दिन वृंदावन से आए कथा वाचक आचार्य श्री हरि जी महाराज ने संत महिमा पर एक गहन और ज्ञानवर्धक प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा की कृपा, भगवान नारायण की अनुकंपा और संतों के आशीर्वाद से ही हमें सत्संग और संतों का संग प्राप्त होता है।
उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब अनेक जन्मों के पुण्य जाग्रत होते हैं, तभी किसी जीव को संतों का साक्षात दर्शन और संग प्राप्त होता है। आचार्य जी ने माँ भक्ति और नारद जी के संवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि साधुओं के दर्शन से ही सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
उन्होंने जीवन की नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शरीर अंततः मिट्टी में मिल जाएगा या अग्नि में जलकर भस्म हो जाएगा। इसलिए, शरीर का परम धर्म प्रभु की कथा श्रवण और सत्संग करना है।
उन्होंने समाज से अपील की कि वे कुसंग का त्याग करें और सत्संग की ओर अग्रसर हों, क्योंकि यही सच्चे कल्याण का मार्ग है।