चिराग पासवान: बिहार की राजनीति में उभरता सितारा
चिराग पासवान का राजनीतिक उदय
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान का राजनीतिक कद काफी बढ़ गया है। पहले खुद को ‘सब्जी में नमक’ कहने वाले चिराग अब बिहार में एनडीए के तीसरे प्रमुख चेहरे बन चुके हैं। उनकी पार्टी ने 29 सीटों में से 19 पर जीत हासिल कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।
चिराग के इस प्रदर्शन के चलते एनडीए ने बिहार में 200 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि, उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी में असंतोष की बातें उठी हैं, फिर भी चिराग की पार्टी ने महागठबंधन से 17 सीटें छीनने में सफलता पाई है।
लोकसभा में चिराग की सफलता
चिराग का राजनीतिक उदय 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद तय हो गया था, जब उनके खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें उचित हिस्सेदारी मिली। 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने सभी पांच सीटें जीतकर उनकी सौदेबाजी की ताकत को और बढ़ा दिया। इस समय, जब अन्य दलित नेता जैसे मायावती और जीतन राम मांझी अपनी उम्र के ढलान पर हैं, चिराग पासवान एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं। उनकी इस जीत ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के रामविलास पासवान की विरासत पर किए जा रहे दावों को कमजोर कर दिया है।
फिल्मों से राजनीति तक का सफर
राजनीति में आने से पहले, चिराग ने 2011 में फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। 2014 में, उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान को एनडीए गठबंधन में शामिल होने के लिए मनाया। इसके बाद, वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जमुई से सांसद बने। 2024 में, वह अपने पिता के गढ़ हाजीपुर से चुनाव लड़कर केंद्रीय मंत्री बने। 42 वर्षीय चिराग पासवान 2030 में होने वाले बिहार चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।