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चीन का अमेरिका को स्पष्ट संदेश: युद्ध का समाधान नहीं, प्रतिबंधों से स्थिति और बिगड़ती है

चीन ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और प्रतिबंध केवल स्थिति को और जटिल बनाते हैं। अमेरिका और नाटो देशों के बीच रूस से तेल आयात पर प्रतिबंधों को लेकर सहमति बढ़ रही है, जबकि चीन ने इस पर अपनी दूरी बनाए रखी है। भारत और चीन जैसे देशों का रूस से गहरा जुड़ाव है, जो वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जानें इस जटिल स्थिति में आगे क्या हो सकता है।
 

अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता तनाव

US China Russia Oil Sanctions: रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध और टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिका और नाटो देशों के बीच सहमति बढ़ने के साथ, चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसी भी युद्ध या उससे संबंधित रणनीति में शामिल नहीं होगा। स्लोवेनिया की यात्रा पर गए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश दिया कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और प्रतिबंध केवल स्थिति को और जटिल बनाते हैं। इस बयान के बाद, अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, खासकर जब अमेरिका ने भारत पर पहले ही तेल खरीद को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रूस से व्यापार कर रहे अन्य देश किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।


अमेरिका का रूस पर सख्त रुख

रूस पर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका का सख्त रुख

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में नाटो देशों से आग्रह किया कि वे रूस से तेल खरीदना बंद करें। ट्रंप का कहना है कि कुछ नाटो देश अब भी रूस से तेल खरीदकर गठबंधन की स्थिति को कमजोर कर रहे हैं। जब तक नाटो एकजुट होकर ठोस कदम नहीं उठाता, अमेरिका अकेले कोई बड़ा प्रतिबंध नहीं लगाएगा। ट्रंप का मानना है कि प्रतिबंधों का प्रभाव तभी दिखेगा जब सभी देश मिलकर कार्रवाई करें।


चीन का स्पष्ट संदेश

चीन का स्पष्ट संदेश

स्लोवेनिया में मीडिया से बातचीत करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और प्रतिबंध केवल परिस्थितियों को और जटिल बनाते हैं। चीन न तो युद्ध की साजिश करता है और न ही उसमें भाग लेता है। इस बयान को अमेरिका को प्रत्यक्ष संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उस समय जब अमेरिका रूस के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने में लगा है।


भारत और चीन पर दबाव बनाने की कोशिश

भारत और चीन पर दबाव बनाने की कोशिश

अमेरिका पहले ही भारत पर रूस से तेल खरीद को लेकर भारी टैरिफ लगा चुका है। वहीं, चीन पर अब तक सीधे प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन चाहता है कि G7 देश इन दोनों प्रमुख एशियाई शक्तियों पर दबाव बढ़ाएं, क्योंकि ये देश रूस के बड़े ऊर्जा आयातक हैं। अमेरिका का मानना है कि रूस की आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के लिए उसके तेल और गैस के निर्यात को पूरी तरह से रोका जाना जरूरी है।


अमेरिकी वित्त मंत्री की चेतावनी

अमेरिकी वित्त मंत्री की चेतावनी

G7 वित्त मंत्रियों की बैठक में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि जब तक रूस के तेल से होने वाली आय पूरी तरह नहीं रोकी जाती, तब तक पुतिन की 'युद्ध मशीन' को कमजोर नहीं किया जा सकता। उन्होंने सभी देशों से मिलकर एकजुट होकर ठोस कार्रवाई की अपील की ताकि रूस पर दबाव बढ़ाया जा सके।


अमेरिका-चीन संबंधों को लेकर चीन का नरम रुख

अमेरिका-चीन संबंधों को लेकर चीन का नरम रुख

हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत में भी चीन ने कहा कि वह टकराव नहीं, सहयोग चाहता है। दोनों देशों को अपने रास्ते से भटकना नहीं चाहिए और सहयोग बनाए रखना चाहिए। वांग यी ने कहा कि इससे यह संकेत मिलता है कि चीन अभी भी राजनयिक संवाद और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देता है।


भविष्य की दिशा

रूस पर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका और नाटो जहां सख्त रणनीति के पक्ष में हैं, वहीं चीन इस पूरे परिदृश्य से दूरी बनाए रख रहा है। भारत और चीन जैसे देश, जिनका रूस से ऊर्जा व्यापार पर गहरा जुड़ाव है, अब वैश्विक राजनीति के केंद्र में हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि ये देश अमेरिका के दबाव में किस दिशा में कदम उठाते हैं या अपने रणनीतिक हितों के साथ आगे बढ़ते हैं।