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चीन का नया बांध: भारत के लिए बढ़ती चिंताएं

चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध का निर्माण शुरू किया है, जो भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताओं का कारण बन रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बांध युद्ध जैसी स्थिति में एक 'वॉटर बम' के रूप में कार्य कर सकता है। भारत भी इस स्थिति का सामना करने के लिए अपने बांध निर्माण की प्रक्रिया में है। जानें इस मुद्दे के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

चीन की नई रणनीति

नई दिल्ली: भारत के साथ सीमा पर तनाव के बीच, चीन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह विशाल बांध भारतीय सीमा के निकट बनाया जा रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताएं और बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बांध चीन के लिए एक 'वॉटर बम' के रूप में कार्य कर सकता है, जिसे युद्ध जैसी स्थिति में भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।


बांध का स्थान और महत्व

कहाँ बन रहा है यह बांध?
चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने इस बांध के निर्माण की घोषणा की है। यह बांध तिब्बत के न्यिंगची शहर में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में स्थित है, जो हिमालय की एक विशाल घाटी में एक बड़ा 'यू-टर्न' लेकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करता है। इस परियोजना की लागत 167.8 अरब डॉलर है और इससे हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे से अधिक बिजली उत्पादन की उम्मीद है।


भारत की चिंताएं

भारत की चिंता क्यों?
चीन द्वारा बनाए जा रहे इस बांध ने भारत में चिंता की लहरें पैदा कर दी हैं, जिसे 'वॉटर बम' के खतरे के रूप में देखा जा रहा है। बांध के निर्माण से ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह पर चीन का पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा, जिससे भारत को यह आशंका है कि चीन इस नियंत्रण का दुरुपयोग कर सकता है। युद्ध जैसी स्थिति में, चीन बड़ी मात्रा में पानी छोड़कर अरुणाचल प्रदेश और असम में विनाशकारी बाढ़ ला सकता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेट्स के लिए संवेदनशील है, जिससे भूकंप का खतरा भी बना रहता है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत का पक्ष
चीन की इस गतिविधि के जवाब में, भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बना रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच सीमा पार नदियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए 2006 में एक विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ELM) स्थापित किया गया था। इसके तहत, चीन बाढ़ के मौसम में भारत को ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी से संबंधित डेटा प्रदान करता है। हालांकि, चीन के नए बांध के निर्माण के बाद, यह तंत्र कितना प्रभावी रहेगा, यह एक बड़ा प्रश्न है।