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चीन की नई नीति: अधिक बच्चों के लिए नकद प्रोत्साहन

चीन सरकार ने जनसंख्या में गिरावट को रोकने के लिए एक नई नीति की घोषणा की है, जिसके तहत बच्चों के जन्म पर नकद प्रोत्साहन दिया जाएगा। 2025 से, माता-पिता को हर साल 42,000 रुपये की सहायता मिलेगी। यह कदम आर्थिक चिंताओं के बीच परिवार बढ़ाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास है। अन्य देशों की नीतियों के संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि केवल नकद सहायता से जनसंख्या वृद्धि संभव नहीं है। भारत को भी भविष्य में ऐसी नीतियों पर विचार करना पड़ सकता है।
 

चीन सरकार का नया कदम

चीन अब अपने नागरिकों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए नकद पुरस्कार देने की योजना बना रहा है। जनसंख्या में गिरावट और वृद्ध जनसंख्या की बढ़ती चिंता के मद्देनजर, सरकार ने एक नई नीति की घोषणा की है, जिसके तहत बच्चों के जन्म पर सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी। उल्लेखनीय है कि 2022 से चीन की जनसंख्या में लगातार कमी आ रही है। कभी दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश अब जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है।


2016 में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' समाप्त होने के बाद भी अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। 2023 में केवल 95.4 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जो 2016 के आंकड़ों का लगभग आधा है। इस गिरावट को रोकने के लिए, सरकार अब माता-पिता को नकद प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है ताकि वे अधिक बच्चों के जन्म के लिए प्रेरित हों।


प्रोत्साहन राशि की जानकारी

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी 2025 के बाद जन्म लेने वाले बच्चों के लिए चीन सरकार हर साल 42,000 रुपये की सहायता प्रदान करेगी। यह राशि सीधे माता या पिता के बैंक खाते में जमा की जाएगी और इसका उपयोग बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य या देखभाल पर किया जा सकेगा। यह योजना उन दंपत्तियों के लिए महत्वपूर्ण राहत हो सकती है जो आर्थिक कारणों से दूसरे या तीसरे बच्चे के बारे में सोचने में हिचकिचाते हैं।


अन्य देशों की नीतियों का संदर्भ

चीन की स्थानीय सरकारें भी इस दिशा में सक्रिय हो गई हैं। उदाहरण के लिए, इनर मंगोलिया के होहोट शहर में दूसरे बच्चे के जन्म पर 50,000 युआन (लगभग 5.8 लाख रुपये) और तीसरे बच्चे पर 100,000 युआन (लगभग 11.6 लाख रुपये) तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ये राशि वहां के औसत वेतन के अनुसार महत्वपूर्ण है। कई देशों में ऐसी नीतियों के मिश्रित परिणाम सामने आए हैं। दक्षिण कोरिया ने 2024 में अपने चाइल्डबर्थ इंसेंटिव्स को बढ़ाया है।


जापान का दृष्टिकोण

जापान ने नकद सहायता के बजाय 2005 से हजारों चाइल्ड केयर सेंटर खोले हैं, जिससे माता-पिता को सुविधा मिली है। इससे वहां की प्रजनन दर में 0.1 की मामूली वृद्धि देखी गई है। यह दर्शाता है कि केवल नकद सहायता से जनसंख्या वृद्धि लाना कठिन हो सकता है। नौकरी की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाओं का भी होना आवश्यक है, ताकि लोग आत्मविश्वास के साथ परिवार बढ़ाने का निर्णय ले सकें।


भारत के लिए संभावित नीतियाँ

हालांकि भारत की जनसंख्या अभी स्थिर नहीं हुई है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में कम जन्म दर और बढ़ती आर्थिक चिंताओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारत को भी भविष्य में ऐसी नीतियों पर विचार करना पड़ सकता है। विशेष रूप से मध्यवर्ग और कामकाजी माता-पिता को आर्थिक और सामाजिक सहायता के बिना परिवार बढ़ाना कठिन होता जा रहा है। चीन की यह नई नीति वैश्विक चर्चा का विषय बन गई है। यह एक साहसिक कदम है, लेकिन इसके साथ-साथ यदि सरकार स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और कार्य-जीवन संतुलन जैसे क्षेत्रों में भी निवेश करे, तभी यह नीति प्रभावी हो सकेगी।