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चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत की रणनीति पर नजरें

चीन की गतिविधियों के बीच भारत की रणनीति पर एक नई रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। 2020 में लद्दाख में नए क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद से चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं। अमेरिका के पेंटागन ने इस स्थिति को स्पष्ट किया है, जिसमें भारत की चुनौतियों और अमेरिका के बदलते रुख का भी जिक्र है। जानें, भारत को इस तनाव को कम करने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा और क्या है इसके पीछे के कारण।
 

चीन का ध्यान अरुणाचल प्रदेश पर

2020 में लद्दाख क्षेत्र में नए क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद से चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं। भारत को इस तनाव को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।


अमेरिका के रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने चीन के दृष्टिकोण में आए बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाया है, जिसमें ताकत और प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि शामिल है। यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए बढ़ती चुनौतियों को उजागर करती है। पेंटागन ने सही तरीके से यह बताया है कि चीन अब बार-बार अरुणाचल प्रदेश को, जिसे वह दक्षिण तिब्बत मानता है, अपनी संप्रभुता से जुड़े ‘बुनियादी हित’ के रूप में पेश कर रहा है। इसका अर्थ है कि वह इस क्षेत्र को किसी भी समझौते में शामिल नहीं करेगा।


विश्लेषकों का मानना है कि अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख में नए क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद, चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं। यह भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका में उसकी बढ़ती पैठ भी भारत के लिए चिंता का कारण है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेनाओं को आमने-सामने की स्थिति से हटाकर भारत के साथ संबंधों को स्थिरता प्रदान करने की कोशिश कर रहा है।


प्रश्न यह है कि चीन की इस आक्रामकता के बावजूद भारत को इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा? इसका मुख्य कारण यह है कि भारत अपनी राष्ट्रीय शक्ति का निर्माण चीन के समान नहीं कर पाया। इसके अलावा, अमेरिका के बदलते रुख ने भी भारत की स्थिति को प्रभावित किया है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के महत्व को कम करके और व्यापार में आक्रामक नीति अपनाकर भारत को चीन की ओर धकेल दिया है। इस स्थिति में अमेरिका की भारत के प्रति सहानुभूति अब खोखली लगती है।